सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानि एसईए ने सरकार से रिफाइंड खाद्य तेल के आयात को नियंत्रित करने, साबुन और नूडल्स जैसे शुल्क मुक्त आयातित तैयार उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने ओर डी-ऑइल राइस ब्रान यानी चावल की भूसी पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने का आग्रह किया है। एसईए ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को अपने बजट पूर्व ज्ञापन में इन मांगो को शामिल किया।
एसईए ने तिलहन उत्पादन को प्रोत्साहित करने और आयात निर्भरता कम करने के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाने का सुझाव दिया। निकाय ने खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन एनएमईओ को अगले पांच सालों के लिए 25 हजार करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ लागू करने का प्रस्ताव दिया। इसके तहत वित्त वर्ष 2029 से 30 तक खाद्य तेलों की आयत निर्भरता को मौजूदा 65 प्रतिशत से घटाकर 25 से 30 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।
एसईए ने रिफाइंड पाम ऑयल यानी आरबीडी पामोलिन के बढ़ते आयात पर चिंता व्यक्त की। इंडोनेशिया और मलेशिया से सस्ते आयात के कारण भारतीय पाम रिफाइनिंग उद्योग को नुकसान हो रहा है। संगठन ने आरबीडी पामोलिन के आयात शुल्क को 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की सिफारिश की, जबकि कच्चे पाम ऑयल पर शुल्क में कोई बदलाव नहीं करने की मांग की।
एसईए ने डी-ऑयल राइस ब्रान पर 5 प्रतिशत की जीएसटी लगाने का सुझाव दिया, क्योंकि चावल की भूसी पर पहले से 5 प्रतिशत की जीएसटी लगता है। इसके अलावा सोयाबीन के लिए बफर स्टॉक बनाने और मूल्यवर्धित सोयाबीन उत्पादों को बढ़ावा देने की भी मांग की गई। एसईए मानना है कि इन सुधारों से तिलहन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, भारतीय उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और देश की आयत निर्भरता कम होगी।
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