नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बताया है कि सरकारी आंकड़ों की कमी के चलते किसानों की आय की सही जानकारी का पता लगाना बहुत ही मुश्किल है। यह बात उन्होंने उस सवाल के जवाब में कही जब उनसे पूछा गया था कि क्या देश में किसानों की आय दोगुनी हुई है।गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2016 में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था। चंद ने इस लक्ष्य की वास्तविक प्रगति का आकलन करने के लिए व्यापक डेटा की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहां कि किसान गैर कृषि स्रोतों से अधिक कमाई कर रहे है और किसानों की गैर कृषि आय पर आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं होने के चलते लक्ष्य के मूल्यांकन की प्रक्रिया जटिल बन गई है। किसानों की उनके फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहां कि कृषि जिंसों की कीमतें किसी कानून के जरिए तय करने से किसानों और कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह न तो कृषि क्षेत्र और न ही किसानों के हित में हैं।
चंद ने कहां कि एमएसपी के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित करने से फसल विविधीकरण नहीं हो सकता है। खासकर जब वैकल्पिक फसलों की लाभप्रद्ता चावल और गेहूं जैसी मुख्य फसलों से मेल नहीं खाती हो।
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