मार्च माह में किए जाने वाले रबी फसलों के लिए कृषि कार्य ये है की इस समय फसलें पक कर तैयार हो जाती है। इस समय हमारे किसान भाइयों को बहुत सी बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है। कृषि जागृति के इस पोस्ट में हम जानेंगे की इस मार्च महीने में गेहूं और जौ की फसल में किए जाने वाले कृषि कार्यों को आप आसानी से कैसे कर सकते हैं।
इस समय गेहूं और जौ की खेती में किसान को समय समय पर सिंचाई कर कार्य करते रहना चाहिए। गेहूं और जौ की खेती में 20 से 25 दिन के अंतराल पर खेत में पानी लगाया जाना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे खेत में सिंचाई का कार्य कभी तेज हवाओं के दौरान न करें। अगर तेज हवाओं के दौरान गेहूं और जौ की सिंचाई का कार्य किया जाता है तो इससे फसल के गिरने का डर रहता हैं।
बदलते मौसम के दौरान गेहूं एवं जौ में पीला रतुआ रोग लगने की संभावना ज्यादा रहती है। यदि गेहूं की फसल में आपको काले रंग के पुष्क्रम दिखाई दे तो उन्हें तोड़कर तुरंत जलाकर नष्ट कर दे या तोड़कर जमीन में गाड़ दें। अधिक तापमान बढ़ने की वजह से गेहूं की पीली पत्तियां काली धारियों वाली पत्तियों में बदल जाती है। इसलिए हमारे किसान भाई इस रोग के रोकथाम के लिए 250 ग्राम प्रोपीकोनजोल 25 ई.सी 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
यदि इस रोग का प्रकोप ज्यादा होता है या तीव्र गति से बढ़ता है तो इसका घोल को फिर से बनाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। ध्यान रहे इस रासायनिक कीटनाशक दवा का छिड़काव करनाल बंट रोग को भी नियंत्रण करने के लिए किया जाता है। यदि गेहूं की फसल में माहू कीट लगते है तो 250 ग्राम डाईमेथोएट या 250 ग्राम इमिडाक्लोरोप्रिड को 150 लीटर पानी में मिलाकर एकड़ खेत में स्प्रे करें। यदि इसका प्रकोप ज्यादा देखने को मिलता है तो इस मिश्रण को फिर से बना कर स्प्रे कर सकते हैं।
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