केंद्र सरकार दालों, अनाजों और सब्जियों की उत्पादकता बढ़ाकर भारत को वैश्विक खाद्य टोकरी बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह प्रयास देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और किसानों को अधिक लाभ देने के उद्देश्य से किया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 में भारत ने मात्र 1,218 करोड़ रुपए दालों का निर्यात किया था, जो 2024-25 के अप्रैल-दिसंबर में बढ़कर 4,437 करोड़ रुपए हो गया।
2023-24 में भारत ने 5.94 लाख टन दालों का 5,397.86 करोड़ रुपए मूल्य का निर्यात किया, जिससे अमेरिका, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रमुख देशों में भारतीय दालों की मजबूत मांग का संकेत मिलता है। सरकार ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहत तुअर, उड़द और मसूर की खरीद को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट और तेलंगाना में 15 फरवरी तक 0.15 लाख टन तुअर खरीदी गई, जिससे 12,006 किसानों को सीधा लाभ मिला। बजट 2025 में सरकार ने घोषणा किए कि अगले 4 सालों तक राज्य उत्पादन के 100 प्रतिशत तक दालों की खरीद की जाएगी। एनसीसीएफ और नैफेड जैसी केंद्रीय एजेंसियां किसानों से सीधे एमएसपी पर दालों की खरीद करेंगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2024-25 खरीफ सीजन के लिए 13.22 लाख टन अरहर की खरीद को मंजूरी दी। यह खरीद आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में की जाएगी। पीएम आशा योजना न केवल किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में मदद करेगी, बल्कि बाजार में मूल्य स्थिरता बनाए रखेगी।
सरकार का लक्ष्य एमएसपी पर खरीद के जरिए किसानों की आय बढ़ाना, बफर स्टॉक बनाकर कीमतों को स्थिर रखना और वैश्विक बाजार में भारतीय दालों की उपस्थिति मजबूत करना है। इस रणनीति के तहत, दालों और अन्य खाद्य फसलों का उत्पादन बढ़ाकर भारत को खाद्य आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
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