किसानों का रूझान दिन प्रति दिन अब सामान्य गेहूं की तुलना में काले गेहूं के खेती के प्रति बढ़ता ही जा रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि इस किस्म के गेहूं की बाजार में मांग अधिक है और पिछले कुछ समय से इसका निर्यात भी काफी बढ़ा है। इससे किसानों का ध्यान अब काले गेहूं की खेती पर ज्यादा है। उत्तरप्रदेश में कई किसान काले गेहूं की जैविक खेती कर बंपर कमाई कर रहे हैं। कृषि अधिकारी मानते हैं कि ये गेहूं डायबिटीज वाले लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में धीरे-धीरे काले गेहूं की जैविक फसल की बुवाई का रकबा बढ़ रहा है।
काले गेहूं के अनाज में है औषधीय गुण
इसमें पाए जाने वाला एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है, जो हार्ट अटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है। काले गेहूं रंग व स्वाद में सामान्य गेहूं से थोड़ा अलग होते हैं, लेकिन बेहद पौष्टिक होते हैं। नाबी ने विकसित की काले गेहूं की नई किस्में सात बरसों के रिसर्च के बाद काले गेहूं की इस नई किस्म को पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट या नाबी ने विकसित किया है।
नाबी के पास इसका पेटेंट भी है। इस गेहूं की खास बात यह है कि इसका रंग काला है। इसकी बालियां भी आम गेहूं जैसी हरी होती हैं, पकने पर दानों का रंग काला हो जाता है। नाबी की साइंटिस्ट और काले गेहूं की प्रोजेक्ट हेड डॉ. मोनिका गर्ग के अनुसार नाबी ने काले गेहूं के अलावा नीले और जामुनी रंग के गेहूं की किस्म भी विकसित की है। काले गेहूं की तरह ही काला चावल भी होता है। इंडोनेशिअन ब्लैक राइस और थाई जैसमिन ब्लैक राइस इसकी दो जानीमानी वैरायटी हैं। म्यामांर और मणिपुर के बॉर्डर पर भी ब्लैक राइस या काला चावल भी उगाया जाता है। इसका नाम है चाक-हाओ। इसमें भी एंथोसाएनिन की मात्रा ज्यादा होती है।
अच्छे पैदावार के लिए 25 अक्टूबर से 30 नवंबर से पहले करें बुवाई
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मौजूदा समय काले गेहूं की खेती के लिए उपयुक्त है, क्योंकि इसकी खेती के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। किसान 30 नवंबर तक इस गेहूं की बुवाई आसानी से कर सकते हैं। अगर इसकी बुवाई देर से की जाए, तो फसल की पैदावार में कमी आ जाती है। जैसे-जैसे बुवाई में देरी होती है, वैसे-वैसे गेहूं की पैदावार में गिरावट आ जाती है।
काले गेहूं की जैविक खेती कैसे करें एवं सही बुवाई का तरीका
काले गेहूं की बुवाई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है। काले गेहूं की उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता है। किसान भाई बाजार से इसके बीज खरीद कर बुवाई कर सकते हैं। पंक्तियों में बुवाई करने पर सामान्य दशा में 30 से 35 किलोग्राम तथा मोटा दाना में 35 से 40 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। वहीं छिड़काव विधि से बुवाई करने के लिए सामान्य दाना 40 से 45 किलोग्राम, मोटा-दाना 45 से 50 किलोग्राम प्रति एकड़ खेत में प्रयोग करना चाहिए।
बुवाई से पहले बीज जमाव प्रतिशत अवश्य देख ले। राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा नि:शुल्क उपलबध है। यदि बीज अंकुरण क्षमता कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा ले तथा यदि बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें। इसके लिए 11 या 21 बीजों को 0.1 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस, या 0.1 मिली जी डर्मा से उपचारित कर बुवाई करे।
बीज की बुवाई करने वाले स्थान पर मिट्टी को भी उपचारित करें इसके लिए आपको 100 ग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 1 ग्राम जी-सी पावर, 1 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर छिड़काव कर मिट्टी को उपचारित करें, फिर बुवाई करे। ध्यान रहे मिट्टी में नमी रहनी चाहिए। परीक्षण के लिए बोई हुई बीज को प्रति दिन देखते रहें। इससे आपको दो बाते मालूम होगी पहली की बीज कितने दिन में निकल रही है और दूसरी 11 या 21 बीजों में से कितनी बीज निकली हैं। ऐसा करने से आप बीज की गुणवत्ता और बीज अंकुरण प्रतिशत जान सकेंगे।
जैविक खाद व उर्वरक की उच्च मात्रा
खेत की तैयारी के समय दो बाहर खेत की गहरी जुताई कर कुछ दिनों के लिए खेत को खुला छोड़ दे, फिर 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी-सी पावर, 500 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर मिट्टी को उपचारित करे। तथा 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस जैविक खाद को बीज बुवाई करते समय ड्रिल से दें।
बुवाई से 21 दिन बाद यानी पहली सिंचाई के समय 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस, 500 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर कर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय छिड़काव कर सुबह चिंसाई करें। वही दूसरी सिंचाई के समय यानी पहली सिंचाई के 30 दिन बाद 10 किलोग्राम जी-सी पावर एवं 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय छिड़काव करें।
काले गेहूं की उच्चित सिंचाई
काले गेहूं की फसल की पहली सिंचाई तीन हफ्ते बाद करें यानी बुवाई से 21 दिन बाद की जाती है। तथा दूसरी सिंचाई पहली सिंचाई के 30 दिन बाद करे। इसके बाद फुटाव के समय, गांठें बनते समय, बालियां निकलने से पहले, दूधिया दशा में और दाना पकते समय सिंचाई अवश्य करें। और फल, फूल एवं दाने को गोटेदार बनाने के लिए जी-एमिनो प्लस, जी-बायो ह्यूमिक, जी-सी लिक्विड का स्प्रे करें। प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करने के लिए 75 लीटर पानी की आवश्यकता है।
काले गेहूं की कटाई व प्रति एकड़ खेत में प्राप्त उपज
जब गेहूं के दाने पक कर सख्त हो जाएं और उनमें नमी का अंश 20 से 25 प्रतिशत तक आ जाए तब इसकी फसल की कटाई करनी चाहिए। बात करें इसकी प्राप्त उपज की तो इसकी 15 से 20 क्विंटल तक प्रति एकड़ खेत में उपज प्राप्त की जा सकती है।
प्रति एकड़ खेत में प्राप्त उपज से कितनी हो सकती है कमाई
काले गेहूं की मार्केट में 4,000 से 6,000 हजार रुपए प्रति क्विंटल की कीमत पर बिकता है, जो कि अन्य गेहूं की फसल से दोगुना है। इसी साल सरकार ने गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,975 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। इस हिसाब से देखें तो काला गेहूं की जैविक खेती से किसानों की कमाई तीन गुना तक बढ़ सकती है।
यह भी पढ़े: गेहूं की प्रति एकड़ जैविक खेती के लिए जुताई-बुवाई एवं उर्वरक का कुल खर्च जान ले फिर शुरू करें
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद