पंजाब के किसानों ने धान की खरीद प्रक्रिया के दौरान कीमतों में की जा रही कटौती को रोकने के लिए राज्य सरकार और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से उचित किस्मों की सिफारिश करने की मांग की है। भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष निशान सिंह और वरिष्ठ नेता मास्टर बूटा सिंह ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए खरीद एजेंसियों द्वारा की जा रही मूल्य कटौती पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
किसानों के अनुसार, उन्होंने सरकार की सलाह पर परमल धान की पीआर 106 और पीआर 131 संकर किस्मों की बुआई की थी, लेकिन अब खरीद एजेंसियां मिल मालिकों के साथ मिलकर धान की गुणवत्ता को कमतर बताकर कीमतों में अनुचित कटौती कर रही है। बूटा सिंह ने आरोप लगाया कि खरीदे गए धान को बाद में कस्टम मिलिंग के लिए मिल मालिकों को सौंप दिया जाता है, जिससे किसानों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है।
किसानों का दावा है कि पिछले सीजन में भी घटिया धान के नाम पर भारी जुर्माना और कीमतों में कटौती की गई थी, जिससे वे आर्थिक रूप से प्रभावित हुए। इस स्थिति से बचने के लिए बूटा सिंह ने सरकार से धान की उचित किस्मों के बारे में किसानों को जागरूक करने हेतु किसान मेला आयोजित करने की मांग की। उन्होंने कहां की धान की बुआई मई में शुरू होने वाली है, इसलिए समय रहते किसानों को सही जानकारी दी जानी चाहिए।
किसान संगठनों ने पंजाब सरकार द्वारा रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति हस्तांतरण पर स्टॉप ड्यूटी लगाने के फैसले का भी विरोध किया है। किसान नेताओं का कहना है कि पिछली सरकार ने इस शुल्क में छूट दी थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया है। किसान संगठनों ने इस कदम की आलोचना करते हुए चेतावनी दी कि अगर सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
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