नाइट्रोजन की कमी के लक्षणों की पहचान करने के लिए, फसलों की पत्तियों की जांच करें। नाइट्रोजन की कमी से फसलों की पत्तियों का पीला पड़ना, झड़ना, और छोटे आकार का होना हो सकता है। यदि आप इन लक्षणों को देखते हैं, तो मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को दूर करने के लिए उपरोक्त कार्यों में से एक या एक से अधिक कार्य कर सकते हैं।
वार्षिक फसल चक्र में दलहनी फसलों का समावेश करें: दलहनी फसलें नाइट्रोजन को मिट्टी में जमा करने में मदद करते हैं। इनके उत्पादन से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा 40 से 60 प्रतिशत किलोग्राम प्रति एकड़ में बढ़ सकती है।
बायोफर्टिलाइजर और जैवाणु संग्रहण: कुछ जीवाणु, जैसे एजेटोबैक्टर, एजोस्पाईरिलम, स्यूडोमोनास एवं 10 किलोग्राम जी-सी पावर, जी-प्रोम एडवांस, जी-वैम जैव खाद को 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करने से नाइट्रोजन को मिट्टी में उपलब्ध करा सकते हैं।
एसिटोबैक्ट डाइजोट्रोफिक्स का प्रयोग: यह जीवाणु गन्ने और अंगूर में हवा से नाइट्रोजन खींच कर पौधों को उपलब्ध कराता है।
कंपोस्ट खाद और जड़ों का उपयोग: अपने खेत में कंपोस्ट खाद और पिछली फसल की जड़ों का उपयोग करें। कम्पोस्ट में कार्बन होने पर स्वतः ही नाइट्रोजन उपलब्ध होता है।
फसल चक्र का पालन करें: एक ही प्रकार की फसलों बार बार बुवाई न कर बल्की 2 साल या 3 साल के बाद दूसरी फसलें उगाने से खेत में सुक्ष्म जीवों के भोजन हेतु नाइट्रोजन, कार्बन और प्रोटीन उपलब्ध रहता है और जैव रासायनिक प्रक्रियाएं सम्पन्न होती हैं।
बीज पत्तियों का प्रयोग: कुछ जीवाणु, जैसे राइजोबियम, दलहनी फसलों की जड़ों में प्रवेश करके नाइट्रोजन को मिट्टी में संग्रहित करते हैं।
ताम्बें का प्रयोग: दलहनी फसलें ताम्बें का उपयोग अधिक करती हैं, लेकिन इससे ताम्बें की कमी हो सकती है, इसलिए उसे संतुलित रूप से प्रयोग करें।
विविध फसलें उगाएं: विविध फसलें उगाने से खेत में शत्रु कीटों का प्रकोप कम होता है और मिट्टी में नाइट्रोजन का संतुलन बना रहता है।
यह भी पढ़े: फसलों के लिए मुख्य खाद तत्व की उपयोगिता एवं इनसे होने वाले फसलों को लाभ
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद