टमाटर की बंपर आवक के चलते इंदौर की थोक मंडियों में इसका भाव गिरकर महज 2 रुपए प्रति किलोग्राम रह गया है, जिससे टमाटर किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों और संगठनों ने राज्य सरकार से त्वरित राहत की मांग की है।
खंडवा जिले से आए किसान धीरज रायकवार ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि 2 रुपए प्रति किलो के भाव में तो हम अपनी लागत भी नहीं निकाल सकते। कुछ किसानों को मजबूरी में अपनी खेप फेकनी पड़ रही हैं। पड़ोसी धार जिले के किसान दिनेश मुवेल ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ में टमाटर की खेती के लिए 2 लाख रुपए का कर्ज लिया था, लेकिन अब घाटे का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों का कहना है कि पिछले साल टमाटर के ऊंचे दामों से प्रोत्साहित होकर इस बार बड़े पैमाने पर खेती की गई, लेकिन अधिक उत्पादन के कारण बाजार में भारी आवक से दाम गिर गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक राम स्वरूप मंत्री ने कहां कि हम सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही।
अब किसानों को उचित मूल्य पर फसल बेचने का विकल्प देना चाहिए। भारतीय किसान मजदूर सेना के अध्यक्ष बबलू जाधव ने कहां कि राज्य में कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण सुविधाओं की कमी के कारण किसानों को तुरंत ही फसल बेचनी पड़ती है, जिससे उन्हें औने-पौने दामों पर समझौता करना पड़ता है।
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