किसानों ने अभी तक अपने खेत में श्री विधि से सरसों की बुवाई न करके केवल धान-गेहूं की ही बुवाई कर अधिक पैदावार प्राप्त की होगी। लेकिन सरसों की श्री विधि बुवाई कर दोगुना उत्पादन पा सकते हैं हमारे किसान भाई। जी हां सरसों की श्री विधि से बुवाई करने पर अच्छी फसल प्राप्त कर सकते है। दरअसल, श्री विधि में एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच में लगभग 20 से 50 सेमी तक की जगह छोड़ी जाती है। ताकि पौधे सही तरीके से विकसित हो सके। इस विधि में पानी की मात्रा भी बेहद कम लगती है।
सरसों की बुवाई श्री विधि से करने में किसी खास किस्म के बीज की जरूरत नहीं पड़ती है, आप अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित बीज का ही चयन करें। अगर बीज पुराना हो नए बीज का प्रयोग करें। जिस खेत में श्री विधि से सरसों की रोपाई करनी हो उस खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। यदि खेत सूखा है तो सिंचाई (पलेवा सिंचाई) करके जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें और खरपतवार को हाथ से ही निकालकर खेत से बाहर कर दें।
आपको बता दें कि जिस प्रकार आलू की फसल में मिट्टी चढ़ाते हैं ठीक उसी प्रकार से कतार से कतार एक फीट ऊंची तक श्री विधि से सरसों की खेती में भी मिट्टी चढ़ाना आवश्यक है। पौधों में फूल आने लगते हैं, फूल आने एवं फलियों में दाने भरने के समय पानी की कमी नही होनी चाहिए अन्यथा उपज में काफी कमी हो जायेगी।
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