हाल के सप्ताहों में अंतरराष्ट्रीय चावल बाजार में कीमतों में तेज गिरावट देखी गई है। नई फसल की आवक और वैश्विक स्तर पर कमजोर मांग के चलते बाजार में आपूर्ति बढ़ गई है, जिससे कीमतों पर दबाव बना है। अंतर्राष्ट्रीय अनाज परिषद की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पर्याप्त आपूर्ति और खरीद में सुस्ती के कारण चावल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
थाईलैंड के 5 प्रतिशत टूटे चावल की कीमतें 10 डॉलर की गिरावट के साथ 403 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई, जो पिछले दो सालों में इसका सबसे निचला स्तर है। भारत और पाकिस्तान में भी व्यापार की रफ्तार धीमी रही, जिससे निर्यात कीमतों में नरमी आई। हालांकि वियतनाम की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर बनी रही, क्योंकि नियमित खरीदारों की ओर से बिक्री जारी रही।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, फरवरी में चावल की वैश्विक कीमतों में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आई, जो अप्रैल 2022 के बाद से सबसे कम स्तर है। इंडिका, सुगंधित और जैपोनिका किस्मों की कीमतों में गिरावट रही, जबकि केवल ग्लूटिनस चावल ने स्थानीय और चीनी मांग के चलते कुछ मजबूती दिखाई।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रुपए की कमजोरी और अमेरिका में व्यापारिक अनिश्चिताओं ने भी वैश्विक चावल कीमतों पर दबाव बढ़ाया है। दक्षिण अमेरिका में 2025-26 की फसल के लिए स्टॉक खाली करने के प्रयासों ने कीमतों को और नीचे धकेला, हालांकि ब्राजील की मजबूत मुद्रा ने कुछ हद तक इस असर को कम किया है।
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