केंद्र सरकार ने उबले चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया है। घरेलू बाजारों में चावल की बढ़ती हुई कीमतों को नियंत्रण करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा यह फैसला लिया हैं। आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा चावल के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि को नियंत्रण करने हेतु अगस्त के महीने में उबले चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया गया था। इस फैसले के तहत 15 अक्टूबर तक उबले चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाना था।
अब 15 अक्टूबर तक की अवधि खत्म होने के बाद सरकार ने इसे अगले पांच महीनों के लिए आगे बढ़ाने का फैसला किया है। गौरतलब है कि विश्व के कुल चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से ज्यादा है। पिछले वर्ष भारत ने 74 लाख टन उबले चावल का निर्यात किया था। इस निर्यात शुल्क के बाद उबले चावल की कीमत पाकिस्तान और थाइलैंड जितनी हो जायेगी।
अब विदेशी व्यापारियों के पास आयात का कोई सस्ता विकल्प नहीं होगा। निर्यात हतोत्साहित होने के चलते घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ने की संभावना हैं। सरकार ने इससे पहले 25 अगस्त, 2023 को उबले चावल पर निर्यात शुल्क लगाया था। यह शुल्क 15 अक्टूबर, 2023 तक प्रभावी था। लेकिन सरकार ने इसे आगे बढ़ाते हुए मार्च 2024 तक कर दिया है।
इस फैसले से चावल के निर्यात में कमी आएगी और देश में चावल की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। सरकार का मानना है कि यह कदम महंगाई को कम करने में भी मददगार होगा। विश्व में भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत से सालाना लगभग 20 लाख टन चावल का निर्यात होता है। इसमें से गैर-बासमती चावल का हिस्सा लगभग 25% है।
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