केंद्र सरकार 31 मार्च से पहले मसूर के शुल्क मुक्त आयात को समाप्त करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव को अंतर मंत्रालयी पैनल द्वारा मंजूरी मिलने के बाद अगले सप्ताह अधिसूचना जारी होने की संभावना है। सरकार द्वारा घरेलू बाजार में स्टॉक बढ़ाने के लिए आयातकों को मसूर और चना के आयात शुल्क पर छूट दी गई थी। हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि मसूर के साथ साथ चने पर आयात शुल्क भी लगाया जाएगा या नहीं।
एक अधिकारी ने बताया कि मसूर और चना जैसी रबी सीजन की प्रमुख दालों पर 31 मार्च तक शुल्क मुक्त आयात की अनुमति है, जबकि फसल अगले महीने से बाजार में आने की उम्मीद है। सरकार बिहार के किसानों को लेकर सतर्क है, क्योंकि यह मसूर के प्रमुख उत्पादकों में से एक है और इस साल के अंत में वहां विधानसभा चुनाव होने हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस साल बिहार में धान की खरीद में वृद्धि हुई है, जबकि पहले इसे अक्सर अनदेखा किया जाता था।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने मसूर की कीमतों को लेकर अपनी चिंता जारी की है। आगामी फसल के लिए मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी 6,700 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि मौजूदा बाजार कीमतें मध्य प्रदेश में 5,640 रुपए और उत्तर प्रदेश में 6,500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच है। इसके अलावा आयातित मसूर घरेलू कीमतों की तुलना में सस्ती बिक रही है, जिससे बाजार में कीमतों पर दबाव बना हुआ है। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों के पास फिलहाल लगभग 5.5 से 5 लाख टन मसूर का स्टॉक है।
सरकार को आशंका है कि यदि आयात इसी तरह जारी रहा तो अप्रैल में मसूर की कीमतों में भारी गिरावट हो सकती है, जिससे किसानों में असंतोष बढ़ सकता है। आपको बता दे कि चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-नवंबर के दौरान मसूर का आयात 5.90 लाख टन था, जबकि दिसंबर 2024 में उद्योग ने लगभग 5 टन से अधिक आयात का अनुमान लगाया है। इस साल मसूर का कुल रकबा 17.43 लाख हैक्टेयर पर स्थित रहा है और अनुमानित उत्पादन 18 लाख टन हो सकता है, जो पिछले साल के 17.91 लाख टक के करीब हैं।
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