केंद्र सरकार इस साल किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दालों और कुछ तिलहनों की 100 प्रतिशत खरीद की अनुमति देने पर विचार कर रही हैं। आधिकारिक खरीद कृषि मंडियों में फसलों के बाजार भाव पर निर्भर करेगी। फिलहाल कुछ दलहन और तिलहन फसलों की कीमतें MSP से अधिक या उसके बराबर चल रही हैं। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों को उनकी उपज के लिए अच्छा भाव सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार खरीद को बढ़ाने के बारे में सोच रही हैं।
सरकार ने तुअर और उड़द दाल पर भंडारण सीमा को भी 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि थोक विक्रेता, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेता, मिलर्स और आयातक इन दालों का तय सीमा से अधिक भंडारण नहीं कर सकते। केंद्र सरकार द्वारा खरीद में बढ़ोतरी और भंडारण की सीमा बढ़ाने जैसे फैसलों से किसानों और उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना है।
सरकार का मानना है कि यह योजना खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी। इससे देश में दलहनों और तिलहनों का पर्याप्त भंडार होगा, जिससे खाद्य कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी। वर्तमान में, सरकार द्वारा दलहनों और तिलहनों की खरीद प्रमुख थोक मंडियों में प्रचलित कीमतों पर निर्भर करती है। यदि प्रमुख थोक मंडियों में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होती हैं, तो सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसलों को बेचने का विकल्प प्रदान करती है।
सरकार द्वारा 100 प्रतिशत दलहन और तिलहन खरीदने की योजना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ है। इससे किसानों को अपनी फसलों के लिए एक निश्चित और उचित मूल्य प्राप्त होगा, और उन्हें खुले बाजार में बेचने के लिए मजबूर होने से बचाया जाएगा। इससे खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी।
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