उपभोक्ता कार्य मंत्रालय ने कहां है कि सरकार बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य की समीक्षा पर गंभीरता से विचार कर रही हैं। इस समय यह 1,200 अमरीकी डॉलर प्रति टन हैं। अगस्त में सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल के अवैध निर्यात को रोकने के लिए 1,200 प्रति टन अमेरिकी डॉलर की दर से कम पर बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया था। मंत्रालय ने बताया कि चावल निर्यातक संघ ने कहां है कि चावल का अधिकतम मूल्य निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा हैं।
सरकार ने कहां कि चावल की घरेलू कीमतों पर अंकुश लगाने और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए प्राप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। मंत्रालय ने कहां कि सरकार द्वारा उचित निर्णय लेने तक मौजूद व्यवस्था जारी रहेगी। बासमती चावल भारत का एक महत्वपूर्ण निर्यात उत्पाद है। 2022-23 में, भारत ने लगभग 4.5 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया था।
सरकार का मानना है कि बासमती चावल के निर्यात मूल्य को कम करने से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को भी लाभ होगा।सरकार द्वारा बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य की समीक्षा किए जाने की घोषणा से चावल निर्यातकों में खुशी है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी मांगों को मानेगी और बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य कम करेगी।
सरकार इस मूल्य की समीक्षा करने पर विचार कर रही है क्योंकि यह बासमती चावल के निर्यात को प्रभावित कर रहा है। चावल निर्यातक संघ इस मूल्य को कम करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वर्तमान मूल्य बासमती चावल को प्रतिस्पर्धी बनाना मुश्किल बना रहा है।
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