मध्य प्रदेश के कई जिलों में हाल ही में हुई ओलावृष्टि ने बागवानी फसलों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। आम, नींबू और संतरे जैसे प्रमुख फलों के साथ-साथ सब्जियों को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। किसानों और कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, तेज ओले गिरने से फलों के तने टूट गए, पत्तियां झड़ गई और फलों का रंग फीका पड़ गया, जिससे उनकी बिक्री योग्य गुणवत्ता पूरी तरह खत्म हो गई।
किसानों का कहना है कि ओलावृष्टि के बाद पौधे अपनी वृद्धि रोककर ऊर्जा घाव भरने में लगाने लगते हैं, जिससे उपज घट जाती है। इसके अलावा, खुले घाव फसलों को कीट, फफूंद और बीमारियों के लिए बेहद संवेदनशील बना देते हैं। समय से पहले पकने के कारण फलों की शेल्फ लाइफ भी काफी घट गई है।
खंडवा जिले के किसान वृद्धि चंद पाटीदार ने बताया कि कई जिलों में फल और सब्जियों की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। देवास के केदार सिरोही ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहां, खरीफ ओर रबी फसलों के लिए बीमा और मुआवजा योजनाएं हैं, लेकिन बागवानी किसानों के लिए कोई ठोस नीति नहीं है। यह एक बड़ी खासी है, जिससे हर साल किसान भुगतते हैं।
आम उत्पादक चंद्रकांत गौर ने बताया कि इस बार आम की फसल पर सीधा असर पड़ा है। साथ ही नींबू और संतरे के बागों में भी फलों के गिरने, तनों के टूटने और पत्तियों के झड़ने जैसे नुकसान देखे गए हैं, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ेगा। राज्य के पूर्व कृषि निदेशक जीएम कौशल ने भी इस चिंता को गंभीर बताते हुए कहा, सरकार के पास बागवानी फसलों के नुकसान पर मुआवजे की कोई व्यवस्था नहीं है। यह साल दर साल दोहराई जाने वाली समस्या बन गई है, जिसका समाधान अब बेहद जरूरी है।
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