नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने कहां कि भारत में अगली हरित क्रांति केवल बागवानी के माध्यम से ही आ सकती है, क्योंकि यह कृषि की तुलना में तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने बेंगलुरु में आईसीएआर भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान में राष्ट्रीय बागवानी मेला 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहां कि बागवानी क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत से ज्यादा है, जबकि कृषि विकास दर 4 प्रतिघात से भी कम है।
चंद ने बताया कि देश के कुल कृषि क्षेत्र महज 6 से 7 प्रतिशत हिस्से में ही बागवानी फसलें उगाई जाती हैं, हालांकि फलों और सब्जियों का मूल्य के आधार पर कुल उत्पादन में 30 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहां की अगर भारत को 2047 तक विकसित देश बनना है, तो अर्थव्यवस्था को 7 से 8 प्रतिशत और 5 प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा, ओर यह बागवानी के बिना असंभव है।
चंद ने कहां कि पिछले तीन सालों में बागवानी उत्पादन कृषि उत्पादन से आगे निकल चुका है और 2023-24 में यह 353 मिलियन टन के पार पहुंच गया। उन्होंने जोर देकर कहां कि अगली हरित क्रांति अनाज, दलहन या तिलहन से नहीं, बल्कि बागवानी से ही आयेगी। उन्होंने कहा कि पिछले 15 से 20 सालों में बागवानी के विकास ने इसे कृषि का मजबूत स्तंभ बना दिया है।
चंद ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे बागवानी फसलों पर ध्यान केंद्रित करें, क्योंकि अगली हरित क्रांति अनाज, दलहन या तिलहन से नहीं, बल्कि बागवानी से ही आयेगी। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान की वे उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करें, जो क्षेत्र विस्तार और नई तकनीकों के माध्यम से संभव है। चंद ने यह भी बताया कि बागवानी क्षेत्र में वृद्धि मुख्य रूप से तकनीक और मांग से प्रेरित है, न कि सरकारी मूल्य समर्थन यानी एमएसपी से, क्योंकि इस क्षेत्र में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है।
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