एंगुलर लीफ स्पॉट एक विनाशकारी बीमारी है जो कद्दू वर्गीय फसलों के पौधों को प्रभावित करती है। जिससे कद्दू वर्गीय फसलों की पैदावार कम हो जाती है और उत्पादकों को आर्थिक नुकसान होता है। कद्दू वर्गीय फसलों में कोणीय पत्ती धब्बा वाले स्थान के प्रभावी प्रबंधन में कृषि विधि, रासायनिक और जैविक तरीकों का संयोजन शामिल है। इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए यहां विभिन्न रणनीतियाँ हैं जो निम्नवत है!
रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें: कद्दू वर्गीय फसलों की ऐसी किस्में लगाएं जो कोणीय पत्ती वाले धब्बे के प्रति प्रतिरोधी हों। प्रतिरोधी किस्में संक्रमण के प्रति कम संवेदनशील होती हैं और रोग के प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं। इसके अलावा अगर आप बीज को उपचारित करके बुवाई करेंगे तो बीज जनित रोग खत्म हो जाते हैं। जिससे बीजों की अंकुरण बेहतर होता है।
फसल चक्र अपनाएं: मिट्टी में रोगज़नक़ के संचय को कम करने के लिए फसल चक्र को अपनाएं। कई मौसमों के लिए एक ही स्थान पर खीरे या अन्य अतिसंवेदनशील फसलें लगाने से बचें। यानी कहने का मतलब यह है की एक ही खेत में लागतार एक ही फसल को बार-बार न लगाएं। बल्की 3 वर्षो के बाद फसल बदल कर कोई दूसरी फसल लगाएं।
बीज उपचार अवश्य करें: किसान अपने खेतों में जीवाणुओं को आने से रोकने के लिए रोग मुक्त उपचारित बीजों का उपयोग करें। गर्म पानी या जीवाणुरोधी रसायनों से बीज उपचार करने से मदद मिलती है। अगर आप बीज को उपचारित करना चाहते है तो कृपया करके रासायनिक कीटनाशकों से उपचारित न करे बल्कि कोई जैविक कीटनाशक से उपचारित करें।
उचित सिंचाई: ओवरहेड सिंचाई करने से से बचें, यानी कहने का मतलब है की कद्दू वर्गीय फसलों के खेतों में ज्यादा पानी न लगाएं, बल्की उच्चित मात्रा में सिंचाई करें। नहीं तो बैक्टीरिया फैल सकता है। हो सके तो ड्रिप सिंचाई करें। ड्रिप सिंचाई विधि पत्तियों को सूखा रखने में मदद करती हैं।
कटाई छँटाई और घनापन कम करें: वायु परिसंचरण में सुधार, आर्द्रता कम करने और रोग के प्रसार को कम करने के लिए खीरे के पौधों की कटाई छंटाई और घनापन कम करें यानी खीरे के पौधों को खेत में ज्यादा पास पास मत लगाएं।
संक्रमित पौधों को हटाएं और नष्ट कर दें: इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए किसी भी संक्रमित पौधे को तुरंत हटा दें और नष्ट कर दें। संक्रमित पौधे के मलबे से खाद न बनाएं। इससे पूरे खेत में रोग फैल सकता हैं। इसके अलावा अगर आप रोग लगने के शुरुआती चरण में ही जैविक उपचार करें तो बेहतर होगा।
कॉपर-आधारित कवकनाशी से छिड़काव करें: कॉपर-आधारित कवकनाशी कोणीय पत्ती के धब्बे को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। इन स्प्रे को लेबल निर्देशों के अनुसार प्रयोग करें, विशेष रूप से उच्च रोग दबाव की अवधि के दौरान।
जैविक नियंत्रण: रोगज़नक़ के विकास को दबाने के लिए लाभकारी सूक्ष्मजीवों और जैव कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। इन जैविक नियंत्रण एजेंटों को निवारक रूप से या एकीकृत रोग प्रबंधन कार्यक्रम के हिस्से के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए आपको जैविक कीटनाशक जी-स्यूडो प्लस और जी-डर्मा एवं जी-बायो-फॉस्फेट एडवांस को इस रोग को नियंत्रण करने के लिए कर सकते हैं।
निगरानी और शीघ्र पहचान: कोणीय पत्ती वाले धब्बे रोग के लक्षणों के लिए नियमित रूप से अपनी कद्दू वर्गीय फसलो की निरक्षण करते रहे। और शीघ्र पता लगने पर बीमारी को फैलने से रोकने के लिए समय पर कार्रवाई तुरंत करें।
निष्कर्ष: कोणीय पत्ती का धब्बा रोग कद्दू वर्गीय फसलों के उत्पादन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है, लेकिन उचित प्रबंधन उपायों द्वारा, उत्पादक इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं और अपनी फसलों की रक्षा कर सकते हैं। रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करना, विभिन्न कृषि उपायों और रासायनिक और जैविक नियंत्रण विधियों का उपयोग करना सभी एक प्रभावी रणनीति के अभिन्न अंग हैं। इन दिशानिर्देशों का पालन करके, कद्दू वर्गीय उत्पादक कोणीय पत्ती वाले धब्बे रोग के जोखिम को कम कर सकते हैं और स्वस्थ, अधिक उत्पादक फसलों को बढ़ावा दे सकते हैं।
PC: प्रोफेसर डॉ एसके सिंह विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी, प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना। डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-848 125, समस्तीपुर, बिहार
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