लौंग को एक मसाला फसल की खेती के रूप में उगाया जाता है। इसका इस्तेमाल खाने के मसाले के साथ-साथ कई तरह की दवा बनाने और सौंदर्य प्रसाधनों के बनाने में भी किया जाता है। लौंग का पौधा एक सदाबाहर पौधा है। इसका पौधा एक बार लगाने के बाद कई वर्षों तक पैदावार देता है। देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है। आपको बता दें बाजार में पूजा-हवन सामग्री के रूप में , तेल से लेकर टूथ पेस्ट, दांत के दर्द की दवा, पेट और मुंह के रोग की दवा जैसे कई प्रोडक्ट मौजूद है। इसकी मांग बाजार में हमेशा बानी रहती है अगर आप भी कोई खेती करने का सोच रहे है तो आपके लिए बढ़िया विकल्प है, लौंग की जैविक खेती।
लौंग की जैविक खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु’
लौंग की जैविक खेती के लिए नम कटिबंधीय क्षेत्रों की बलुई मिट्टी अच्छी होती है। लौंग के पौधों के लिए जल भराव वाली मिट्टी में नहीं उगा सकते है क्योंकि पौधा खराब हो जाता है। इसकी खेती गर्म प्रदेशों में ही करना ज्यादा उपयुक्त है। लौंग के पौधों के विकास के लिए 10 डिग्री सेंटीग्रड से ज्यादा का तापमान होना चाहिए। वहीं उसके पेड़ के वृद्धि में 30 से 35 डिग्री तक तापमान की आवश्यकता होती है। लौंग के पौध का रोपण मानसून के वक्त किया जाता है। पौध रोपण का समय लगभग जून से जुलाई के महीने में करना चाहिए।
लौंग की जैविक खेती के लिए नर्सरी कैसे तैयार करें
इसकी खेती के लिए आपको पहले नर्सरी तैयार करनी होगी। लौंग के बीज को तैयार करने के लिए मादा पेड़ से पके हुए कुछ फलों को इक्कठा किया जाता है। बीजों की रोपाई के लिए नर्सरी में जैविक खाद का मिश्रण तैयार करें। इसके लिए आप 10 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी 10 सेंटीमीटर हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 1 किलोग्राम जी-सी पावर, 10 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस का मिश्रण तैयार तैयार कर नर्सरी के क्यारी में छिड़काव कर कर मिट्टी को उपचारित करें। फिर मिट्टी में लगभग 10 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियां में बीज को उपचारित कर बुवाई करनी चाहिए। आपको बता दें कि इसके बीजों से पौध तैयार होने में लगभग दो साल तक का समय लगता हैं। आप पौधों को नर्सरी से खरीदकर भी खेतों में लगा सकते हैं।
लौंग के पौध का रोपण कैसे करें
लौंग के नर्सरी के पौधे को रोपने के लिए लगभग 75 सेंटीमीटर लम्बा, 75 सेंटीमीटर चौड़ा और 75 सेंटीमीटर गहरा एक गड्ढा खोदकर तैयार कर लें। ध्यान रहे कि एक गड्डे से दूसरे गड्डे की दूरी लगभग 6 से 7 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इन गड्डे को जैविक खाद के मिश्रण से भर दें इन सभी खादों को मिटटी की एक परत से ढके। गढ्ढों के लिए जैविक खाद का मिश्रण तैयार करने के लिए 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी-सी पावर, 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस, 500 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद संध्या के समय गड्ढों में भरे बराबर मात्रा में फिर पौध को उपचारित कर बुवाई करें। पौध को उपचारित करने के लिए 1 लीटर पानी में 20 मिली जी बायो फॉस्फेट एडवांस मिलाकर कर पौध के जड़ों को 15 से 20 मिनट तक डुबो कर रखे फिर निकाल कर उन गड्ढों में संध्या के समय बुवाई करें।
लौंग की फसल की सिंचाई कैसे करें ?
लौंग की जैविक खेती में शुरुआत के 4 से 5 साल तक सिंचाई की जरूरत होती है। इस समय लौंग की खेती में लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए, जिससे भूमि में नमी बनी रहे।
लौंग की फसल की कटाई कब करें
ये फल पौधे पर गुच्छों में लगते हैं। इनका रंग लाल गुलाबी होता है। जिनको फूल खिलने से पहले ही तोड़ लिया जाता है। फिर इन्हे आप मार्किट में बेच सकते है।
लौंग की प्रति एकड़ खेत से कितनी होगी कमाई
एक बार पौधा परिपक्व होने पर 2 से 3 किलोग्राम का बंपर उत्पादन देता है। बाजार में एक किलोग्राम लौंग 800 से 1000 रुपए किलो में बिकता है। ऐसे में अगर आप प्रति एकड़ खेत में लौंग के 200 पौध भी लगाते हैं तो आराम से आप 6 लाख रुपए तक का मुनाफा कमा सकते हैं।
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