खाद्य सुरक्षा, पोषण एवं टिकाऊ कृषि के लिए दलहनी फसलें काफी महत्वपूर्ण हैं। दलहनी फसलों को अन्य फसलों की तुलना में पानी की आवश्यकता बहुत कम होती है। ये फसलें कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं, इसलिए ये फसलें सूखाग्रस्त क्षेत्रों में खेती के लिए काफी लाभदायक हैं। दलहनी फसलें मानव पोषण के साथ-साथ टिकाऊ कृषि के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।
हम खरीफ, रबी और ग्रीष्म ऋतु में दलहनी फसलें उगाते हैं। खरीफ ऋतु में अरहर, मूंग, उड़द, कुलथी, मटकी, राजमा, रबी ऋतु में मटर, लोबिया और चना तथा ग्रीष्म ऋतु में मूंग मुख्य दलहनी फसलें हैं।
कृषि में दलहनी फसलों का महत्व
दलहनी फसलें अपनी जड़ ग्रंथियों में राइजोबियम जीवाणुओं के माध्यम से हवा से 120 से 130 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर अवशोषित करती हैं और इसे अपनी जड़ ग्रंथियों में स्थिर करती हैं। इससे मिट्टी की संरचना को बनाए रखने में मदद मिलती है। जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। जब अनाज की फसलें पक जाती हैं, तो फसल के बाद उनकी मल्च 1.5 से 4 टन प्रति हेक्टयर की दर से खेत में दबा दी जाती है, जो मिट्टी में कार्बनिक कार्बन और नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाकर मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है।
यह फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। बदलती जलवायु में, टिकाऊ भूमि प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण होता जा रहा है, इन दलहनियें फसलों को पानी की आवश्यकता अन्य फसलों की तुलना में बहुत कम होती है। ये दलहन फसलें विभिन्न प्रकार की मौसम स्थितियों का सामना कर सकती हैं। इन अनाज की फसलों को अन्य फसलों के साथ इंटरक्रॉप के रूप में उगाया जा सकता है, जो जैव विविधता और मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते है।
आहार में अनाज और दालों का महत्व
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार, प्रति व्यक्ति को प्रति साल कम से कम 17 से 25 किलोग्राम दलहनिए अनाजों का सेवन करना चाहिए। यानी प्रति व्यक्ति प्रति दिन 70 से 80 ग्राम इन अनाजों का सेवन करना चाहिए। दालें मानव आहार में पौधे आधारित प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं। इनमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है।
खासकर उन क्षेत्रों में जहां मांस या डेयरी उत्पाद आसानी से उपलब्ध नहीं हैं या लोगों के लिए वहनीय नहीं हैं, दालें प्रोटीन के प्रमुख स्रोत के रूप में कार्य करती हैं। दालों में मुख्य रूप 21 से 25 प्रतिशत प्रोटीन होता है, जबकि दालों में फाइबर ज्यादा होता है, जो पाचन और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता हैं। दलहनियें फसलों में विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत हैं।
वे आयरन, जिंक, फोलेट और मैग्नीशियम प्रदान करते हैं। पीसी हुई दालें पचाने में आसान होती हैं। वे विटामिन की मात्रा भी बढ़ाती हैं। विटामिन सी पिसाई के बाद ही बनता है। आयरन और कैल्शियम का अवशोषण अच्छा होता है। दालें खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे सभी आर्थिक स्तर के लोगों के लिए प्रोटीन और अन्य खाद्य घटकों का एक किफायती और आसानी से उपलब्ध स्रोत हैं।
यह भी पढ़े: आम की खेती कैसे करते हैं और इसमें कितना फायदा है, जानिए विस्तार से!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती से संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए WhatsApp करें।