किसान अपने खेतों में हरी और लाल दोनों प्रकार की मिर्च बोते हैं। इन दोनों मिर्चों की मांग बाजार में अच्छी है। इसलिए उन्हें इसकी अधिक उपज देने वाली मिर्च की उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। इन किस्मों की फसल जल्दी तैयार हो जाती है और इनकी प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता 8 से 30 टन तक होती है।
मिर्च की अर्का मेघना किस्म गहरे लाल रंग की होती है और इसकी वृद्धि हरे रंग की होती है। इस किस्म की उपज 5 से 6 टन सूखी लाल मिर्च और 30 से 35 टन हरी मिर्च होती है। इस किस्म के पौधे लंबे और गहरे हरे रंग के होते हैं। इसकी फसल 150 से 160 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
मिर्च की अर्का श्र्वेता किस्म वायरल रोगों के प्रति प्रतिरोधी है और इसकी उपज 4 से 5 टन लाल मिर्च और 28 से 30 टन हरी मिर्च है। इस किस्म की मिर्ची की लंबाई 13 से.मी एवं मोटाई 1.2 से 1.5 से.मी तक होती है।
काशी सुर्ख किस्म के मिर्च के पौधों का बाहरी ढांचा मोटा होता है और इससे 3 से 4 टन लाल मिर्च और 20 से 25 टन हरी मिर्च की पैदावार होती है।
काशी की अगेती किस्म की मिर्च के पौधों में छोटी गांठें होती हैं और इसकी उपज 300 से 350 क्विंटल तक होती है। यह किस्म 45 दिन में ही फल देना शुरू कर देती हैं।
मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म साल भर पैदा होती है और 8 से 10 टन उपज देती है। यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के द्वारा विकसित की गयी है और यह सालभर किसानों को मुनाफा देती है।
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