जी-वैम, उत्तर भारत में सितंबर से नवंबर महीने के बीच रबी फसलों की बुवाई किया जाता है। इन फसलों की कटाई फरवरी से मार्च में किया जाता है। रबी फसलों में गेहूं, आलू, मक्का, सरसों, चना, टमाटर, जौ, प्याज, असली, मेथी, धनिया आदि फसलें शामिल हैं। वर्तमान समय में जलवायु में परिवर्तन के कारण फसलों की पैदावार में वृद्धि के लिए हमारे किसान भाइयों के लिए एक गंभीर चुनौती बनकर उभर रही है।
फसलों की पैदावार में कमी होने के कई अन्य कारण भी हैं। जिनमें मिटटी की उर्वरक क्षमता का कम होना, रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का ज्यादा प्रयोग, फसलों में खाद और उर्वरक की सही मात्रा की जानकारी न होना आदि शामिल है। अगर लंबे समय तक हमारे किसान भाई रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग करते रहे तो मिटटी की उर्वरक क्षमता धीरे–धीरे कम होने लगती है।
तो इन परिस्थितियों में अपेक्षा के अनुसार पैदावार प्राप्त करना हमारे किसान भाइयों के लिए कठिन होता जा रहा है। ऐसे में रबी फसलों की बेहतर पैदावार के लिए हमारे किसान भाइयों के लिए जैविक उर्वरक एक बेहतर विकल्प है। यदि हमारे किसान भाई रबी फसलों की खेती कर रहे हैं तो गैलवे कृषम का जैविक उत्पाद जी–वैम एक्सट्रीम पावर का प्रयोग हमारे किसान भाइयों के लिए लाभदायक साबित होगा।
जी–वैम एक्सट्रीम पावर फसलों की पैदावार में वृद्धि के लिए क्यों है एक बेहतर विकल्प
गैलवे कृषम जी-वैम एक एण्डो माइकोराहजा फफूंद पर आधारित जैविक खाद हैं जिसका रिश्ता जड़ व फफूंद के बीच होने के कारण, फसलों को बहुत लाभ होता है। यह जमीन में एक धगानुमा माईसिलियम छोड़ देता है जो कि जमीन के घुलनशील फास्फेट को घोलकर पौधों को देता हैं यह नाइट्रोजन फिक्सेशन में भी काम करता है।
यह फसलों की जड़ों के साथ ताल मेल बिठा कर फसलों की पैदावार में वृद्धि करने में सहायक है। इसके इस्तेमाल से फलों और फूलों की संख्या में भी वृद्धि होती है। इसमें किसी भी तरह के हानिकारक रसायन का प्रयोग नहीं किया गया है। इसलिए इससे मिटटी की उर्वरक क्षमता को भी नुकसान नहीं होता है। इसके साथ ही जी-वैम के प्रयोग से सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति होती है और जल धारण क्षमता में सुधार होता है।
जी-वैम प्रयोग करने की विधि
जी-वैम जैविक उत्पाद का प्रयोग पौधों में छिड़काव विधि के द्वारा किया जाता है। रबी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम जी-वैम जैविक खाद की आवश्यकता होती हैं।
आलू, प्याज, गन्ना जैसे सभी फसलों में भी 4 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से इसका प्रयोग करें। जी-वैम जैविक खाद का प्रयोग कर हमारे किसान भाई उच्च गुणवत्ता की बेहतर फसल प्राप्त कर सकते हैं।
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