भारत ने चावल उत्पादन के वैश्विक मंच पर इतिहास रच दिया है। साल 2024-25 के लिए 149 लाख टन से अधिक चावल उत्पादन के अनुमान के साथ भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का शीर्ष चावल उत्पादक बनने का गौरव हासिल किया है। यह जानकारी अमेरिकी कृषि विभाग के ताजा आंकड़ों से समाने आई है। चीन का अनुमानित उत्पादन 144.62 लाख टन है, जो अब दूसरे पायदान पर चला गया है।
भारत की यह उपलब्धि सरकार, कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है। छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने सिंचाई विस्तार, सब्सिडी वाले बोरवेल, मुक्त बिजली और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सुनिश्चित खरीद जैसी योजनाओं के जरिए चावल उत्पादन को नई ऊंचाई दी है। इससे न केवल खेती का रकबा बढ़ा है, बल्कि जलवायु अनुकूल किस्मों को अपनाने का चलन भी तेज हुआ है।
चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव ने कहां वैश्विक चावल निर्यात में भारत का नेतृत्व अब इसकी उत्पादन क्षमता से भी मेल खाता है। 2023-24 में चावल की खेती का रकबा 478.3 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 510 लाख हैक्टेयर हो गया है। अकेले जायद सीजन का रकबा 9 मई तक बढ़कर 32 लाख हैक्टेयर हो गया है, जो साल भर पहले यह 28.6 लाख हेक्टेयर पर था। इससे ग्रीमकलीन चावल का उत्पादन सामान्य 10 लाख टन से अधिक होने की संभावना है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक भी बना हुआ है। भारत का गेहूं उत्पादन 2014-15 के 86.53 लाख टन से बढ़कर 2024-25 में 117 लाख टन से अधिक हो गया है। हालांकि चीन अभी भी 142 लाख टन के अनुमानित उत्पादन के साथ शीर्ष पर बना हुआ है। मक्का का उत्पादन भी रिकॉर्ड 42 लाख टन तक पहुंच गया है, जो 2030 तक 50 लाख टन के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। दलहनों का उत्पादन अभी लगभग 24 लाख टन पर स्थिर है, जबकि तिलहनों का उत्पादन 39.67 लाख टन से नीचे बना हुआ हैं।
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