भारत के चावल निर्यात में इस साल तेज बढ़त देखी गई है। वित्त वर्ष 2024-25 में 25 मार्च तक देश ने 198.65 लाख टन चावल का निर्यात किया, जो पूरे 2023-24 के 163.58 लाख टन के कुल निर्यात को पार कर गया। राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री निमुबेन जयंतीभाई बंभानिया ने कहां कि सरकार कृषि उत्पादों के उत्पादन, उपलब्धता और आयात-निर्यात पर करीबी नजर रखती है।
उन्होंने कहां की घरेलू खाद्य सुरक्षा और उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार आवश्यकतानुसार नीतिगत हस्तक्षेप करती है।सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल 2024 से 25 मार्च 2025 के बीच चावल निर्यात 198.65 लाख टन तक पहुंच गया। इस दौरान बासमती चावल 59.44 लाख टन, उबला चावल 90.44 लाख टन, गैर बासमती सफेद चावल 33.23 लाख टन, टूटे चावल 7.95 लाख टन और अन्य किस्में 7.59 लाख टन का निर्यात किया गया।
मंत्री बंभानिया ने बताया कि भारत में हर साल लगभग 50 से 60 लाख टन टूटे चावल का उत्पादन होता है। उन्होंने कहां की टूटे चावल का उपयोग मुख्य रूप से पोल्ट्री फीड, पशु चारे और इथेनॉल उत्पादन में किया जाता है। इथेनॉल को पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए तेल विपणन कंपनियों को आपूर्ति की जाती है, जिससे संबंधित उद्योग को फायदा हो रहा है।
भारत के चावल निर्यात में तेज वृद्धि के पीछे वैश्विक मांग में बढ़ोतरी और प्रमुख निर्यात बाजारों में आपूर्ति की स्थिति अहम रही है। हालांकि सरकार घरेलू खाद्य सुरक्षा और कृषि संतुलन को बनाए रखने के लिए निर्यात पर कड़ी निगरानी रख रही है।
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