नीति आयोग, केंद्रीय कृषि मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने संयुक्त रूप से भारत में जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिए निवेश फोरम का शुभारंभ किया है। भारत में सरकारी, निजी क्षेत्रों, किसान संगठनों और वित्तीय संस्थानों के बीज जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने के एक निवेश और साझेदारी रणनीति विकसित करना इस पहल का उद्देश्य है।
नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहां कि खेती योग्य भूमि पर वृक्षारोपण के माध्यम से कृषि कार्बन उत्सर्जन को रोकने में भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कृषि गतिविधियों के आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन करने के वित्तीय कीमतों से पर मेट्रिक्स को शामिल करने का प्रस्ताव रखा। कृषि मंत्रालय में सचिव मनोज आहूजा ने छोटे और सीमांत किसानों के परिप्रेक्ष्य पर विचार करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने किसानों को प्रोत्साहन करने के लिए निवेश संरचनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट समन्वयक शोम्बी शार्प ने इस बात पर जो दिया कि वित्तीय संकट के समाधान के बिना खाद्य संकट का कोई हल नहीं हो सकता। उन्होंने कहां कि हमें तत्काल कृषि में जलवायु अनुकूलन में निवेश बढ़ाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भावी पीढ़ियों के पास पर्याप्त भोजन उगाने के लिए आवश्यक संसाधन हो।
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