देश में चने की खेती किसान बड़े पैमाने पर कर रहे है। पूरी दुनिया का 75 प्रतिशत चना भारत में ही उगाया जाता है। सर्द मौसम वाले क्षेत्र में अगर आप चने की जैविक खेती करते हैं तो सबसे बेहतर है। 24 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में इसके पौधे अच्छे तरीके से विकास करते हैं। चने की फसल को दलहनी फसलों का राजा भी माना जाता है। ऐसे में किसान इसकी आसान तरीके से जैविक खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों प्राप्त कर सकते है।
चने की कुछ उन्नत किस्में: आमतौर पर चना दो प्रकार का होता है, एक काबुली चना और दूसरा देसी चना। देश में चना की दोनों ही किस्मों की काफी मांग है। अगर चने की उन्नत किस्मों की बात करें तो जीएनजी 2171 (मीरा), जीएनजी 1958 (मरुधर), जीएनजी 1581 (गणगौर), आरवीजी 202, जीएनजी 2144 (तीज), जीएनजी 148 (संगम). वहीं चने के देसी किस्मों में आरएसजी 888, जीएनजी 1969 (त्रिवेणी), जीएनजी 1499 (गौरी) और जीएनजी 1292 आदि से भी बंपर पैदावार ले सकते हैं।
किस तरह करें भूमि का चयन: चने की जैविक खेती हल्की से भारी मिट्टी में की जाती है। इसकी खेती के लिए ऐसे भूमि का चयन करें जहां जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। पौधों के अच्छे विकास के लिए 5.5 से 7 पी एच वाली मिट्टी काफी अच्छी मानी जाती है।
कब करें सिंचाई: प्रथम सिंचाई बिजाई के 55 दिन बाद, द्वितीय सिंचाई 100 दिन बाद करनी चाहिए। लेकिन यदि एक ही सिंचाई करनी हो तो 50 से 60 दिन बाद करें।
कीटों और रोग से बचाने के लिए करें ये उपाय: चने की फसल को कीटों एवं रोगों से बचाने के लिए बुवाई से पहले इसके खेत की मिट्टी को उपचारित करें। इसके लिए आपको 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट के साथ जी-सी पावर, जी-प्रोम एडवांस को मिलाकर मिट्टी को उपचारित करें। फिर इसके बीज को उपचारित करने के लिए 10 मिली जी डर्मा प्लस को प्रति किलोग्राम बीज में मिला कर उपचारित करें और 30 मिनट तक किसी छायादार स्थान पर सुखा लें फिर बुवाई करें।
चने की खेती का समय: भारत देश में चने की खेती के लिए बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच होता है। इसके बाद भी बुवाई की जा सकती है। लेकिन उपज में कमी आने की ज्यादा संभावना होती हैं।
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