एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा के बैनर तले वी. एम. सिंह और राजू शेट्टी के नेतृत्व में किसान संगठनों ने एमएसपी के कानूनी दायरे को बढ़ाने का सुझाव दिया है। उन्होंने केवल 22 फसलों तक सीमित एमएसपी प्रणाली के बजाय बागवानी फसलों, दूध, फल और सब्जियों को भी इसमें शामिल करने की मांग की है।
वी एम सिंह ने स्पष्ट किया कि मोर्चा सिर्फ कानूनी न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग नहीं कर रहा, बल्कि दूध, फलों और सब्जियों को भी इसमें शामिल करने की सिफारिश कर रहा है। उन्होंने कहां की न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने से किसानों को फायदा होगा और आवारा पशुओं द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्या भी कम हो सकती है।
उन्होंने सरकार के इस तर्क को भी खारिज किया कि एमएसपी की कानूनी गारंटी से खाद्य कीमतें बढ़ेंगी। सिंह ने कहां कि पिछले 70 सालों में अन्य वस्तुओं जैसे सोना की कीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं, लेकिन किसानों को उनकी उपज के लिए उचित दाम नहीं मिलते।
गौरतलब है कि किसानों की आय दोगुनी करने वाली समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि मंडियों में कृषि उपज की नीलामी के दौरान बोली की न्यूनतम दर उत्पादन लागत से कम नहीं होनी चाहिए। इसे न्यूनतम आरक्षित मूल्य माना जाए और राज्य एपीएमसी अधिनियमों में संशोधन कर इसे लागू किया जाए। किसान नेताओं ने 19 मार्च को सरकार के साथ होने वाली बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग करने की मांग की है ताकि चर्चा में पारदर्शिता बनी रहे।
सिंह ने कहां कि पहली बैठक सकारात्मक रही, लेकिन सरकार किसानों से खुलकर संवाद नहीं कर रही। हालांकि सिंह ने साफ किया कि किसान अभी कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन शुरू नहीं करेंगे, लेकिन सरकार को किसानों की नाराजगी को गंभीरता से लेना चाहिए। अगर सरकार ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया, तो इसका असर आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है।
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