राजस्थान की प्रमुख अनाज मंडी जयपुर में 2 अप्रैल से 9 अप्रैल के बीच मूंग के भाव में 100 रूपए प्रति क्विंटल की हल्दी बढ़त दर्ज की गई। मंडी में मूंग का मूल्य 7,550 रुपए तक पहुंच गया, हालांकि यह अब भी केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 8,682 रुपए प्रति क्विंटल से काफी नीचे है। देशभर की अधिकांश मंडियों में मूंग की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास या उससे नीचे बनी हुई हैं।
और इसके पीछे कई प्रमुख कारण माने जा रहे हैं, जिसमें सरकारी भंडार की प्रचुरता, नई फसल की लगातार आवक, ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई के लिए अनुकूल मौसम प्रमुख है। एगमार्कनेट के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 26 मार्च को समाप्त सप्ताह में मूंग की आवक 36.68 प्रतिशत बढ़कर 2,774.89 टन पहुंच गई, जबकि पिछले साल इसी सप्ताह में यह मात्रा 2,030.16 टन थी।
जयपुर और मेड़ता सिटी जैसी प्रमुख मंडियों में मूंग की कीमतें क्रमशः 7,400 और 7,600 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थित रही। यह दर्शाता है कि बाजार में इस समय आपूर्ति और मांग में संतुलन बना हुआ है। सरकारी भंडारों की भरपूर उपलब्धता के चलते कीमतों पर नियंत्रण बना हुआ है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकारी खरीद एजेंसियां अतिरिक्त स्टॉक को समाहित करने में विफल रहती हैं, तो बाजार में 2016 जैसी गिरावट की पुनरावृति की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, जब मूंग के दाम एमएसपी से 50 प्रतिशत तक नीचे लुढ़क गए थे।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, ग्रीष्मकालीन दलहन की बुआई में इस बार उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है। 17 मार्च 2025 तक कुल 5.73 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में दलहन की बुआई हुई है, जो पिछले साल की तुलना में 25.93 प्रतिशत ज्यादा है। खासतौर पर मूंग की बुआई 16.99 प्रतिशत बढ़कर 4.27 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है।
जबकि उड़द की बुआई में 62.96 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मूंग की कीमतें आगामी हफ्तों में भी एक सीमित दायरे में न्यूनतम समर्थन मूल्य के आस पास बनी रह सकती है, क्योंकि नई फसल की निरंतर आवक से आपूर्ति बनी रहेगी और मांग में भी फिलहाल कोई बड़ा उछाल नहीं देखा जा रहा है। सरकारी हस्तक्षेप और समयबद्ध खरीद ही आने वाले समय में मूंग बाजार की दिशा तय करेगी।
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