राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड यानि एनडीडीबी और बैंगलोर स्थित सस्टेन प्लस एनर्जी फाउंडेशन ने देशभर में 10 हजार बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए साझेदारी की है। अगले चार सालों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और बिहार सहित 15 राज्यों में यह परियोजना लागू होगी।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में नई दिल्ली में आयोजित डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और परिपत्रता कार्यशाला के दौरान इस योजना का अनावरण किया गया। इस अवसर पर एनडीडीबी और नाबार्ड के बीच डेयरी क्षेत्र में सतत और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्तक्षेप किए गए।
एनडीडीबी ने 15 राज्यों में 26 दूध संघों के साथ बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के लिए समझौते किए हैं। इसके तहत लघु और बड़े सम्पीड़ित बायोगैस उत्पादन और डेयरी क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए वित्तीय सहायता पहल की शुरुआत की गई है।
अमित शाह ने एनडीडीबी से आग्रह किया कि अगले दो सालों में 250 जिला डेयरी सहकारी समितियों में गोबर आधारित बायोगैस उत्पादन मॉडल को विस्तारित किया जाए। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने और भारत में दूसरी श्वेत क्रांति को गति देने के लिए डेयरी फार्मिंग की पूरी आर्थिक क्षमता को दोहन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस परियोजना के तहत 10 हजार बायोगैस संयंत्रों से हर साल लगभग 3 लाख टन जैविक घोल उत्पन्न होगा, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार होगा और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटेगी। इसके अलावा ये संयंत्र 7 मिलियन क्यूबिक मीटर से ज्यादा बायोगैस का उत्पादन करेंगे, जिससे ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के लिए ईंधन उपलब्ध होगा।
इस परियोजना से सालाना लगभग 60 हजार टन फॉस्फेट युक्त जैविक खाद के उत्पादन की भी संभावना है, जो रासायनिक फॉस्फेट उर्वरकों के उपयोग को कम करेगा। जैविक कचरे को स्वच्छ ऊर्जा में बदलकर किसान जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटा सकते हैं और अपनी इनपुट लगात कम कर सकते हैं और जलवायु प्रतिरोधी आजीविका सुनिश्चित कर सकते हैं।
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