केंद्र सरकार ने चावल निर्यातकों और विशेष किस्मों के उत्पादक किसानों को बड़ी राहत देते हुए 1 मई 2025 से चावल निर्यात पर संशोधित शुल्क संचार लागू करने का फैसला लिया है। इस नई व्यवस्था के तहत चावल को उसके प्रसंस्करण और किस्म के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा। वाणिज्य राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने संसद में लिखित उत्तर में बताया कि उबले हुए चावल और अन्य प्रकारों को प्रसंस्करण पद्धति के अनुसार, जबकि बासमती, गैर बासमती और भौगोलिक संकेत टैग प्राप्त किस्मों को उनकी विशेष पहचान के आधार पर वर्गीकृत किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि इस बदलाव से देश की 20 से अधिक GI टैग धारी चावल किस्मों को सीधा लाभ मिलेगा, जिन्हें भौगोलिक संकेत पंजीकरण और संरक्षण अधिनियम 1999 के तहत मान्यता प्राप्त है। इन किस्मों की खेती भारत के 10 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में की जाती है। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि यह वर्गीकरण प्रणाली न केवल अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय चावल की प्रीमियम किस्मों को अलग पहचान दिखाएगी, बल्कि उनके प्रमोशन और ट्रैकिंग को भी आसान बनाएगी।
इससे बासमती और GI टैग वाले चावल के वैश्विक व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को बेहतर दाम मिल सकेंगी। यह कदम न केवल उत्पाद विभेदीकरण को मजबूती देगा, बल्कि निर्यात आंकड़ों को भी पारदर्शी और संगठित करने में सहायक होगा, जिससे भारत का चावल व्यापार और अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा। विशेष मानते हैं कि यह नीति उन किसानों के लिए बड़ा अवसर बन सकती है जो पारंपरिक, प्रिमियम और विशिष्ट चावल किस्मों की खेती करते हैं।
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