केंद्रीय कृषि मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में बताया कि देशभर में 6.22 लाख किसानों में जैविक खेती पोर्टल के तहत पंजीकरण कराया है। इसके तहत राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम यानी NPOP और भागीदारी गारंटी प्रणाली यानी PGS-India के अंतर्गत प्रमाणित जैविक खेती का विस्तार का कुल क्षेत्रफल 59.74 लाख हैक्टेयर तक पहुंच चुका है।
सरकार परम्परागत कृषि विकास योजना यानी PKVY और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन यानि MOVCDNER के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। PKVY योजना सभी राज्यों में लागू की गई है, जबकि MOVCDNER विशेष रूप से पूर्वोत्तर के किसानों के लिए तैयार की गई है। ये योजनाएं उत्पादन, प्रसंस्करण, प्रमाणन और विपणन तक व्यापक सहायता प्रदान करती हैं।
किसानों को मिलने वाली सरकारी सहायता
PKVY किसानों को तीन सालों में प्रति हैक्टेयर 31,500 रुपए की सहायता दी जाती है, जिसमें से 15 हजार रुपए सीधे जैविक इनपुट के लिए किसानों को हस्तांतरित किए जाते हैं।
MOVCDNER योजना के तहत तीन सालों में प्रति हैक्टेयर 46,500 रुपए दिए जाते हैं, जिसमें 32,500 रुपए जैविक इनपुट के लिए और 15 हजार रुपए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण यानि DBT के रूप में दिए जाते हैं।
मूल्य संवर्धन, विपणन और प्रचार के लिए PKVY के तहत तीन सालों के लिए 4,500 रुपए प्रति हैक्टेयर की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। प्रमाणन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए 3 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर और किसान सहायता के लिए 7,500 रुपए प्रति हैक्टेयर आवंटित किए गए हैं।
MOVCDNER के तहत तीन सालों में प्रशिक्षण और प्रमाणन के लिए 10 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर सहायता उपलब्ध कराई गई है। सरकार ने जैविक उत्पादों के विपणन को बढ़ावा देने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म Www.JaivikKheti.In लॉन्च किया है, जहां किसान अपने उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए दो प्रमाणन प्रणालियां लागू की गई हैं।
NPOP प्रमाणन, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित यह निर्यात केंद्रीय प्रमाणन प्रणाली है, जो उत्पादन, प्रसंस्करण और व्यापार मानकों को कवर करती है।
PGS India प्रमाणन में कृषि मंत्रालय द्वारा संचालित यह प्रणाली घरेलू बाजार के लिए बनाई गई है, जिसमें किसान आपस में एक दूसरे की खेती का मूल्यांकन ओर सत्यापन किया जाता है।
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