देश में चीनी उत्पादन को लेकर इस साल मिश्रित तस्वीर उभर रही है। जहां एक ओर गन्ने की कमी के चलते कुल उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है, वहीं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मिलों की पेराई जारी रहने और इथेनॉल उत्पादन में बढ़ोतरी के चलते आने वाले महीनों में आंशिक सुधार की संभावना जताई जा रही है। भारतीय चीनी और जैव ऊर्जा निर्माता संघ के अनुसार, देश के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित 22 चीनी मिलें मई 2025 तक गन्ने की पेराई करती रहेंगी, जिससे कुल चीनी उत्पादन बढ़कर 255 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है।
वहीं राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्ट्रियों के महासंघ की ताजा रिपोर्ट में कहां गया है कि 1 अक्टूबर 2024 से 15 अप्रैल 2025 तक का चीनी उत्पादन 18.42 प्रतिशत घटकर 254 लाख टन रह गया है। देश की कुल 534 मिलों में से 496 मिलें अपना संचालन बंद कर चुकी हैं, जबकि सिर्फ 38 मिलें अभी चालू हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश की कई प्रमुख इकाइयां शामिल हैं।
बेहतर गन्ना पैदावार और उच्च रिकवरी रेट ने उत्तर प्रदेश को इस गिरावट के बीच एक आशाजनक अपवाद बना दिया है। देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में पेराई सत्र अपने अंतिम चरण में है और पुणे जिले की अंतिम मिल के मई मध्य तक बंद होने की संभावना है। वहीं कर्नाटक के दक्षिण हिस्सों में चीनी मिलें जून या जुलाई में विशेष सत्र में पेराई फिर से शुरू कर सकती हैं, जिससे अतिरिक्त 40 से 50 लाख टन चीनी उत्पादन की संभावना बन रही है।
इस्मा ने बताया कि इथेनॉल उत्पादन की दिशा में भी बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। 2024-25 सत्र में लगभग 35 लाख टन चीनी को इथेनॉल उत्पादन के लिए डायवर्ट किया जाएगा, जो पिछले सत्र के 21 लाख टन की तुलना में काफी अधिक है। यही वजह है कि इस्मा ने 2024-25 के लिए अपने चीनी उत्पादन के अनुमान को संशोधित कर 264 लाख टन कर दिया है, जो पहले के 272 लाख टन के अनुमान से कम है।
हालांकि 2025-26 सत्र को लेकर उम्मीदें मजबूत हैं। अनुकूल मानसून की संभावना और महाराष्ट्र-कर्नाटक में गन्ने की बुआई में सुधार ने भविष्य के प्रति सकारात्मक संकेत दिए हैं। साथ ही उत्तरी राज्यों में किस्म प्रतिस्थापना कार्यक्रमों की सफलता से पैदावार और रिकवरी दर में और सुधार होने की संभावना है।
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