मार्च के अंतिम दिनों में देशभर की अधिकांश मंडियों में कारोबार बंद रहा। 2 अप्रैल को बाजार खुले तो गुजरात की राजकोट मंडी में मूंगफली का भाव 4,828 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जो सरकार द्वारा तय 6,783 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी कम है। मूंगफली की कीमतों में पिछले एक महीने के दौरान 4 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि तीन महीनों में यह 8 प्रतिशत तक सस्ती हो गई है।
पिछले छह महीनों में भी कीमतों में 8 प्रतिशत और पिछले साल की तुलना में 17 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है। कम मांग के चलते बाजार में 4,250 से 5,405 रुपए प्रति क्विंटल के दायरे में कारोबार हो रहा है। नैफेड ने 2024 के खरीफ विपणन सत्र के तहत मूंगफली की सरकारी खरीद जारी रखी है। 10 फरवरी 2025 तक 12.75 लाख टन मूंगफली की खरीद पूरी हो चुकी थी।
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से अच्छी मांग और अर्जेंटीना में कम फसल के कारण भारत के मूंगफली निर्यात में हाल के महीनों में बढ़ोतरी हुई है। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपस्थिति मजबूत हुई है। हालांकि घरेलू बाजार में बढ़ी हुई आपूर्ति के कारण कीमतें दबाव में बनी हुई हैं। सरकार के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2024-25 में मूंगफली का उत्पादन 104.26 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है, जो पिछले साल के 86.60 लाख टन की तुलना में 17.66 लाख टन ज्यादा है।
उत्पादन में यह बढ़ोतरी अनुकूल मौसम परिस्थितियों के कारण हुई है। हालांकि अधिक उत्पादन के चलते घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ी है, जिससे कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे बनी हुई हैं। एग्रीवॉच के 2024-25 के प्रारंभिक रबी अनुमानों के मुताबिक, मूंगफली की बुआई का कुल क्षेत्रफल 5.04 लाख हैक्टेयर रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के 4.88 लाख हेक्टेयर की तुलना में 3 प्रतिशत ज्यादा है।
हालांकि प्रतिकूल मौसम के कारण उत्पादन में 5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है और यह 9.3 लाख टन रह सकता है, जो 2023-24 में 9.8 लाख टन था। मूंगफली की कीमतों लगातार गिरावट और बाजार में सीमित स्टॉक के कारण आने वाले दिनों में कीमतों में उतार चढ़ाव बनी रही, तो मूंगफली के दाम को कुछ सहारा मिल सकता है, लेकिन घरेलू बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमतें चिंता का विषय बनी हुई हैं।
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