कन्नौज, उत्तर प्रदेश में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग लगातार दिन प्रति दिन खेतों में बढ़ते जा रहा है, लेकिन दवाओं के आपूर्तिकर्ता मानक विहीन रसायन दुकानों पर बिक्री के लिए भेजकर किसानों को चूना लगा रहे हैं। आपको बता दे जनवरी से अब तक कृषि विभाग ने क्षेत्र में 43 कीटनाशक दवाओं के नमूने जांच के लिए भेजे हैं, जिनमें से तीन सर्टिफिकेट फेल साबित हुए हैं। इसके बाद विभाग आगे की कार्रवाई में जुट गया है। प्रभारी जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि फसलों के नियमित निरीक्षण के लिए इलेक्ट्रॉनिक पिरामिड सुपरमार्केट उपलब्ध हैं।
अब तक चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड, कोटा राजस्थान के प्रोफेसर फॉस 40 प्रतिशत और साइपरमेथ्रिन चार प्रतिशत के नमूने संपादकीय जांच के लिए कौशल खाद भंडार नाड़े एमओयू में भेजे गए थे। अनुचित रासायनिक बिक्री, उत्पाद और आपूर्ति के लिए धातु अधिनियम 1968 की धारा 29 के तहत निर्माताओं और वितरकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट अब उन पर जुर्माना लगाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने भी इन फेल हुए सैंपलों पर चिंता जताई है। मंत्रालय ने कहा है कि वह इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगा और दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। कीटनाशक दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद किसानों और उपभोक्ताओं में भी चिंता बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि सरकार को इस मामले पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और बाजार से खराब गुणवत्ता वाली कीटनाशक दवाओं को हटाना चाहिए।
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