उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में मक्का किसानों को पॉपकॉर्न मक्का की खेती अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा मिल सके। एक अनुमान के मुताबिक 2023 तक पॉपकॉर्न का वैश्विक बाजार 662 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद हैं। इस संभावनाओं को देखते हुए, सरकार 2027 तक राज्य में मक्का उत्पादन को दोगुना कर 27.3 लाख टन तक पहुंचाने की योजना बना रही है।
पर्यटन स्थलों में देसी पॉपकॉर्न, बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार किसानों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण देकर इस खेती को प्रोत्साहित कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, पॉपकॉर्न मक्का की फसल सिर्फ 60 दिनों में तैयार हो जाती है, जबकि अन्य मक्का की किस्मों को पकने में 80 से 120 दिन लगते हैं। इससे किसानों को जल्दी और ज्यादा लाभ मिलने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहां कि किसानों को उनकी कृषि जलवायु परिस्थितियों के अनुसार उच्च उपज देने वाली मक्का की किस्मों को चुनने की सलाह दी जा रही है, जिससे उत्पादन बढ़े और उन्हें ज्यादा आर्थिक लाभ मिल सके। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने त्वरित मक्का विकास योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य मक्का उत्पादन को तेजी से बढ़ाना और किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ना है।
राष्ट्रीय स्तर पर तमिलनाडु 59.39 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की औसत उपज के साथ मक्का उत्पादन में अग्रणी है, जबकि राष्ट्रीय औसत 26 क्विंटल है। उत्तर प्रदेश में 2021-22 में मक्का की औसत उपज 21.63 क्विंटल प्रति हैक्टेयर थी, जो बताता है कि राज्य में उत्पादन बढ़ाने की बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं। फिलहाल उत्तर प्रदेश में मक्का का रकबा 8.3 लाख हैक्टेयर है और वार्षिक उत्पादन 2.116 टन के करीब है।
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