कपास की सरकारी खरीद 94 लाख गांठ तक पहुंच चुकी है, लेकिन बाजार में कमजोर मांग के चलते कीमतें अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के स्तर से नीचे बनी हुई हैं। कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक ललित कुमार गुप्ता ने बताया कि सभी राज्यों में खरीद जारी है और एजेंसी के फील्ड अधिकारी अंतिम आवक तक बाजार में मौजूद रहेंगे।
हालांकि 2024-25 फसल सीजन की बिक्री को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, 1 मार्च तक 216 लाख गांठ यानी 170 किलोग्राम प्रति गांठ कपास की आवक हो चुकी थी।
सीएआई के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने बताया कि कपास की दैनिक 90 हजार गांठ से कम हो गई है, जिसमें से 40 से 50 हजार गांठ सीसीआई खरीद रही हैं। मिलों ने थोड़ी अधिक खरीदारी शुरू कर दी है, लेकिन वे ऊंची कीमतों पर खरीद नहीं कर रही हैं। वे अपनी खुद की कीमत पर टिकी हुई हैं और केवल एक महीने का स्टॉक रख रही हैं।
गणात्रा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कपास वायदा बाजार में वृद्धि के बिना भारतीय कपास की कीमतों में सुधार संभव नहीं है। फिलहाल प्रेस्ड कॉटन की कीमतें गुणवत्ता के आधार पर 53 से 54,500 प्रति कैंडी के बीच बनी हुई हैं।
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