गुजरात ने अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के बीच दालों, ग्वार और डेयरी उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानी एपीडा की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में दालों का निर्यात बढ़कर 2.47 लाख टन हो गया, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है।
गुजरात देश में तुअर और चने की उत्पादकता में अग्रणी राज्य है, जहां तुअर की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता 1,163 किलोग्राम और चने की 1,699 किलोग्राम है। वहीं मूंग और उड़द की उत्पादकता के मामले में गुजरात देश में पांचवे स्थान पर है। राज्य में चना, मूंग, उड़द, मोठ, तुअर, चोला, बटर बीन्स और मटर जैसी विभिन्न दालों की खेती की जाती है।
गुजरात में पिछले पांच सालों में दालों की खेती में जबरदस्त विस्तार हुआ है। 2018 से 19 में जहां दालों की खेती का कुल रकबा 6.62 लाख हैक्टेयर था, वह 2022 से 23 में बढ़कर 13.10 लाख हैक्टेयर हो गया। इसी अवधि में दालों का उत्पादन भी तीन गुना बढ़कर 6.79 लाख टन से 18.11 लाख टन तक पहुंच गया।
खासतौर पर चना की खेती में असाधारण वृद्धि दर्ज की गई है। 2018 से 19 में चना का रकबा 1.73 लाख हैक्टेयर था, जो 2022 से 23 में बढ़कर 7.64 हैक्टेयर हो गया है। इस दौरान चना का उत्पादन भी 2.35 लाख टन से बढ़कर 12.98 लाख टन हो गया।
सरकार द्वारा दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी में लगातार बढ़ोतरी के कारण किसानों को बड़ा लाभ मिला है। साल 2020 से 21 से अरहर में 26 प्रतिशत, मूंग में 21 प्रतिशत, उड़द में 23 प्रतिशत, चना में 11 प्रतिशत और मसूर में 31 प्रतिशत के एमएसपी में वृद्धि हुई है। इससे न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई बल्कि मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार आया।
गुजरात की सिंचाई पहलों ने दालों के उत्पादन को बढ़ाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2005 से 06 से 2024 से 25 तक ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली से 24.13 लाख हैक्टेयर भूमि को सिंचित किया गया। इसके अलावा मशीनीकरण, उन्नत बीज, जैविक खाद, मिश्रित फसल, अंतर फसल और फसल चक्र जैसी तकनीकों को अपनाने से कृषि उत्पादन में सुधार हुआ है।
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