पंजाब कृषि विश्वविद्यालय यानी पीएयू के कुलपति प्रो.एस.गोसल ने किसानों को गैर बासमती धान की किस्म पीआर 132 अपनाने का सुझाव दिया है, जो कम उर्वरक और पानी की खपत वाली एक उन्नत किस्म मानी जाती है। उन्होंने धान की पराली जलाने से बचने और पराली प्रबंधन तकनीकों को अपनाने की भी अपील की।
पीएयू के बठिंडा स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में आयोजित वार्षिक किसान मेले के दौरान प्रो. गोसल ने किसानों से कहां कि वे टार वाटर डायरेक्ट सीडेड राइस यानी डीएसआर और ड्रिप सिंचाई तकनीक अपनाएं। उन्होंने बताया कि इससे ट्यूबवेल के मुकाबले लगभग 70 प्रतिशत पानी की बचत की जा सकती है, जिससे राज्य में तेजी से गिरते भूजल स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम में राज्य के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदिया ने भी भाग लिया। उन्होंने ने किसानों से पीएयू के दिशा निर्देश के अनुसार बीज, कृषि रसायन और आधुनिक तकनीकों का चयन करने का आग्रह किया।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ गुरदेव सिंह खुश ने कहां कि किसानों को गेहूं और धान के परंपरागत चक्र से आगे बढ़कर मक्का, सोयाबीन, सूरजमुखी, दलहन और तिलहन जैसी फसलों की ओर रुख करना चाहिए। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और भारत की खाद्य तेलों और अन्य कृषि उत्पादों पर आयात निर्भरता कम होगी। साथ ही जल संकट को कम करने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
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