प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए संसदीय समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि इस योजना के तहत आवारा पशुओं द्वारा फसलों को पहुंचाए गए नुकसान को भी शामिल किया जाए। इसके अलावा, किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए धान उत्पादकों को प्रति क्विंटल 100 रुपए की वित्तीय सहायता देने की भी सिफारिश की गई है। समिति ने छोटे किसानों के लिए मुक्त अनिवार्य फसल बीमा की भी। वकालत की है।
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर लोकसभा में पेश रिपोर्ट में संसद की स्थाई समिति ने सरकार को सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य की तर्ज पर 2 हेक्टेयर तक की भूमि वाले छोटे किसानों के लिए मुक्त फसल बीमा अनिवार्य किया जाए। समिति ने कहां कि यदि छोटे किसानों को मुक्त बीमा मिलता है, तो इससे न केवल उनकी वित्तीय सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि वे खेती में अधिक आत्मविश्वास और स्थिरता के साथ निवेश कर सकेंगे।
समिति ने कहां कि फसल अवशेषों को जलाने की बढ़ती प्रवृति, विशेष रूप से धान की पराली जलाना गंभीर पर्यावरणीय चिंता का विषय बन गई है। इसे रोकने के लिए सरकार को किसानों को वैकल्पिक समाधान अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि धान उत्पादकों को पराली के प्रबंधन के लिए प्रति क्विंटल 100 रूपये की वित्तीय सहायता दी जाए। यह राशि न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त हो और किसानों के बैंक खातों में सीधे स्थानांतरित की जाए।
रिपोर्ट में कहां गया है कि इन सुझावों को लागू करने से फसल बीमा योजना अधिक समावेशी और प्रभावी बनेगी, छोटे किसानों की सुरक्षा बढ़ेगी और पराली जलाने की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। समिति ने सरकार से इन सिफारिशों पर जल्द से जल्द विचार करने का आग्रह किया है, ताकि किसान राहत महसूस कर सकें और कृषि क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
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