वैश्विक बाजार में चावल की आपूर्ति कम होने के कारण भारतीय गैर-बासमती चावल के खरीदार अब ब्राउन चावल की खरीद में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। निर्यातकों के मुताबिक ब्राउन चावल में भी विशेष रूप से स्वर्ण किस्म की मांग बढ़ रही हैं। वियतनाम ने इसकी खरीदारी शुरू कर दी है। एग्रीकल्चरल कामोडिटीज एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एम मदन प्रकाश ने बिजनेस लाइन से कहां, हमें ब्राउन राइस के लिए पूछा जा रहा है, हालांकि हमने अभी तक कोई सौदा नहीं किया है।
दिल्ली स्थित निर्यातक राजेश जैन ने कहां ब्राउन राइस को उबले हुए चावल के बराबर माना जाता हैं। इसलिए इसके निर्यात की अनुमति है। हालांकि, इसके निर्यात पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया जाता हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया हैं। केवल दो देशों के सरकारों के बीच ही इसके निर्यात की अनुमति है। केंद्र द्वारा 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क के साथ उबले हुए चावल के निर्यात के अनुमति दी गई हैं।
साथ ही बासमती चावल के निर्यात के लिए 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य भी तय किया गया हैं। भारत के बाद दूसरे प्रमुख चावल निर्यातक थाइलैंड द्वारा भी धान उत्पादक किसानों को उनकी फसल बाजार में नहीं लाने के ऐवज में प्रोत्साहन राशि दी जा रही हैं। थाइलैंड कैबिनेट ने अपने धान को कम से कम पांच महीने तक रोक रखने के लिए 13,030 करोड़ की योजना को मंजूरी दे दी हैं। धान खरीदने के लिए सहकारी समितियों को ऋण भी स्वीकृत किया गया हैं।
थाइलैंड सरकार द्वारा अपनी उपज को रोककर रखने वाले किसानों को 128,450 रुपए और भंडारण के लिए अतिरिक्त 3,550 रुपए का भुगतान किया जा रहा है। अनाज की घरेलू कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। भारत और थाइलैंड जैसे प्रमुख चावल निर्यातक देशों से आपूर्ति कम होने के कारण वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में मजबूती आई।
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