मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में गेहूं की खेती करने वाले किसान बढ़ते तापमान को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि यह फसल की पैदावार को काफी प्रभावित कर सकता है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में तापमान में धीरे-धीरे वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियां गेहूं की फसल की सहनशीलता सीमा के भीतर हैं और फसल को तुरंत कोई बड़ा खतरा नहीं है।
भारतीय गेहूं जौ अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि गेहूं की नई जलवायु प्रतिरोधी किस्में बदलते मौसम के उतार चढ़ाव को बेहतर तरीके से झेल सकती हैं। उन्होंने कहां कि जब तक न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहता है और रातें ठंडी रहती हैं, तब तक फसल को कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा। हाल ही में मध्य प्रदेश के गेहूं उत्पादक क्षेत्रों का दौरा करने वाले सिंह ने वहां की फसल की स्थिति पर संतोष व्यक्त किया, लेकिन तापमान में अचानक वृद्धि के प्रति आगाह किया।
जो किसान 20 नवंबर से पहले गेहूं की बुआई कर चुके थे, उनकी फसल अधिकांश क्षेत्रों में पहले ही पक चुकी है और अगले 50 दिनों में कटाई की उम्मीद है। मौजूदा गेहूं की किस्में दिन के तापमान को 35 डिग्री सेल्सियस तक झेल सकती है, लेकिन इससे ज्यादा गर्मी होने पर पैदावार पर असर पड़ सकता है। इसलिए विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई जारी रखें।
चालू रबी सीजन के दौरान गेहूं का रकबा बढ़कर 324.38 लाख हैक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के 318.33 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है। सरकार ने इस साल 1150 लाख टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल के 1132.9 लाख टन से ज्यादा है। यदि तापमान नियंत्रण में रहा तो गेहूं की पैदावार अच्छी रहने की उम्मीद की जा रही है।
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