राजस्थान और मध्यप्रदेश के लाखों लोगों के लिए बहुप्रतीक्षित पूर्वी राजस्थान नदी जोड़ो परियोजना (ईआरसीपी) शीघ्र ही मूर्तरूप लेगी। केंद्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार के बीच परियोजना की संयुक्त डीपीआर बनाने के लिए त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों में कुल 5.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रदान करने के साथ-साथ पूर्वी राजस्थान के 13 जिले और मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र के 13 जिलों में पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहां कि ईआरसीपी राजस्थान और मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। संशोधित पार्वती कालीसिंधी-चम्बल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) से मध्यप्रदेश एवं राजस्थान का सर्वांगीण विकास होगा एवं एक स्वर्णिक युग का उदय होगा। दोनों राज्यों के विकास के लिए यह परियोजना मिल का पत्थर साबित होगी।
भजनलाल शर्मा ने बताया कि परियोजना के तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त राज्य के 2,80,000 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहां कि इस परियोजना से 13 जिलों के लगभग 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई जल एवं राज्य की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा।
उन्होंने कहां कि इस परियोजना से कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से किसानों की आय बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहां कि लगभग दो दशकों से लंबित पार्वती-कालीसिंध चंबल परियोजना अब मूर्त रूप ले सकेगी। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों को लाभ पहुंचेगा।
प्रदेश के सूखे क्षेत्र वाले जिलों जैसे मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड और श्योपुर में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी और औद्योगिक क्षेत्र वाले जिलों जैसे इंदौर, उज्जैन, धार, आगर मालवा, शाजापुर, देवास और राजगढ़ के औद्योगिकरण को और बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश के मालवा और चंबल अंचल में लगभग तीन लाख हेक्टेयर का सिंचाई रकबा बढ़ेगा।
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