केरल कृषि विश्वविद्यालय यानी केएयू ने भारत का पहला नारंगी-गुदे वाला बीज रहित तरबूज विकसित किया है। यह किस्म पारंपरिक तरबूजों की तुलना में अधिक मीठी और उच्च गुणवत्ता वाली है। प्रति फल का औसत वजन लगभग 3.5 किलोग्राम है। नारंगी-गुदे वाले बीज रहित तरबूज को भारतीय तरबूज की खेती में एक नई उपलब्धि माना जा रहा है।
यह नवाचार केएयू के वेल्लानिकारा स्थित सब्जी विज्ञान विभाग में विद्वान अंसाबा के पीएचडी शोध का हिस्सा है। इस परियोजना का मार्गदर्शन प्रमुख प्रजनक प्रदीप कुमार टी द्वारा किया गया। यह किस्म शोनीमा यानी लाल गुदा और स्वर्ण यानी पीला गुदा तरबूज किस्मों की लोकप्रियता के बाद विकसित की गई है। केएयू ने पहले ही सोनीमा किस्म के बीज उत्पादन की तकनीक को सब्जी एवं फल संवर्धन परिषद केलर और बैंगलोर स्थित एक निजी बीज कंपनी को हस्तांतरित किया है।
यह मॉडल नई किस्म के लिए भी अपनाया जा सकता है। इस नई किस्म का ऑर्गेनोलेप्टिक मूल्यांकन केएयू में किया गया, जिसमें अनुसंधान निदेशक के.एन. अनिथ और इंडो अमेरिकन हाइब्रिड सीड कंपनी, बैंगलोर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रदीपकुमार टी ने कहां कि यह किस्म आशाजनक है, लेकिन किसानों को बीज वितरण से पहले व्यापक परीक्षणों की आवश्यकता होगी।
उन्होंने बताया कि केरल में पट्टे पर भूमि लेकर संकर किस्मों की खेती करने वाले युवा किसानों के बीच तरबूज की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नारंगी गुदे वाले इस बीज रहती तरबूज की शुरुआत से भारत में तरबूज की खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे उच्च गुणवत्ता वाले और नवीन फलों की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगा।
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