विदेशी खरीदारों की कमजोर मांग और घरेलू बाजार में सुस्ती के चलते तेल वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों यानी अक्टूबर से फरवरी में सोया खली का निर्यात लगभग 19 प्रतिशत घटकर 9.50 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल के इसी अवधि में यह आंकड़ा 11.71 लाख टन था। इस अवधि में सोया खली का उत्पादन भी 44.98 लाख टन से घटकर 40.64 लाख टन रह गया, यानी लगभग 10 प्रतिशत की कमी आई। यह गिरावट घरेलू और विदेशी बाजारों से कमजोर मांग के कारण देखी जा रही है।
सोयाबीन बाजार में मंदी जारी रहने से पेराई गतिविधियां भी सुस्त बनी हुई हैं। अक्टूबर से फरवरी के दौरान सोयाबीन की कुल आवक 66 लाख टन रही, जो एक साल पहले के 70 लाख टन की तुलना में 6 प्रतिशत कम है। इस अवधि में सोयाबीन पेराई भी घटकर 51.50 लाख टन रह गई, जबकि पिछले साल यह 57 लाख टन थी।
व्यापार संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, पशुधन खाद्य क्षेत्र से खली की मांग में 6.7 प्रतिशत गिरावट आई है। इस साल यह 29.50 लाख टन से घटकर 27.50 लाख टन रह गई। खाद्य उद्योग से भी मांग में कमी आई है, जो पिछले साल की 3.75 लाख टन से घटकर 3.65 लाख टन आंकी गई है।
सोया के मुताबिक फरवरी के अंत तक व्यापारियों और पेराई संयंत्रों के पास 48.01 लाख टन स्टॉक उपलब्ध था। वहीं, सरकारी खरीद एजेंसियों ने नेफेड और एनसीसीएफ के पास लगभग 20 लाख टन स्टॉक होने का अनुमान है। फ्रांस और जर्मनी जैसे यूरोपीय देशों से सोया खली की मांग मजबूत बनी रही, लेकिन ईरान सहित कुछ अन्य बाजारों में निर्यात कमजोर रहा।
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