सरकार द्वारा तय सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी 4,892 रुपए प्रति क्विंटल है, लेकिन बाजार में किसानों को 3,500 रुपए से 4,300 रुपए प्रति क्विंटल ही मिल रहा है। यह स्थिति किसानों के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि अगर कीमतें इसी तरह कम रहीं तो वे अगले सीजन में सोयाबीन की खेती कम कर सकते हैं। इससे खाद्य तेलों का आयात और बढ़ सकता है, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।
सोयाबीन को लेकर बढ़ता विरोध
महा विकास अघाड़ी गठबंधन के सांसदों ने दिल्ली में संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और सोयाबीन खरीद की समयसीमा बढ़ाने की मांग की। उन्होंने महाराष्ट्र के किसानों की समस्याओं को सरकार के सामने रखा और नारे लगाए- “सोयाबीन खरीद की समयसीमा बढ़ाओ!”
यह प्रदर्शन ऐसे समय में हुआ जब सरकार पर किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य दिलाने और उन्हें सरकारी सहायता देने के लिए ठोस कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है। महाराष्ट्र जैसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों में यह मुद्दा खास तौर पर गरमाया हुआ है।
आगे क्या होगा?
सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर चिंतित है और संभव है कि आने वाले दिनों में कोई ठोस निर्णय लिया जाए। किसानों को भी उम्मीद है कि सरकार जल्द ही उनकी मांगें मान लेगी ताकि उन्हें अपनी फसलों का उचित मूल्य मिल सके।
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