राजस्थान की जयपुर मंडी में चना की कीमतों में 15 से 22 अप्रैल के बीच मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एक सप्ताह में चने का भाव 50 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5,625 रुपए से 5,675 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। हालांकि यह अब भी केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,650 रुपए प्रति क्विंटल से थोड़ा ही ऊपर है।
देशभर में चना बाजार पर इस समय दबाव बना हुआ है। घरेलू स्टॉक की भरपूर उपलब्धता और आयातित चने की कमजोर मांग के कारण चने की कीमतों पर नरमी हावी है। एगमार्कनेट के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 19 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में देश भर की मंडियों में 137,118 लाख टन चने की आवक हुई, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत ज्यादा है। इस बढ़ी हुई आवक ने बाजार में दबाव और बढ़ा दिया है।
इस बीच, गुजरात सरकार ने न्यूनतम समर्थन पर चना की खरीद कर दी है। इस खरीफ में राज्य ने 3.36 लाख टन चना खरीदने का लक्ष्य रखा है। इस साल राज्य में चना बुआई क्षेत्र 8.49 लाख हैक्टेयर तक पहुंच गया, जो पिछले तीन सालों के औसत से 15 हजार हैक्टेयर ज्यादा है। इससे उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है।
केंद्र सरकार द्वारा चना पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क फिर से लागू कर दिया गया है, जिससे घरेलू उत्पादकों को राहत मिल सकती है। 2024-25 में चना उत्पादन 115 लाख टन पहुंचने का अनुमान है, जो बीते साल के 10 लाख टन से अधिक हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत में चना की कीमतें कम बनी रही और स्टॉक रखने की लागत बढ़ी, तो आयातक देश ऑस्ट्रेलिया से चना मंगाने की दिशा में रुख कर सकते हैं। पाकिस्तान को पुनः निर्यात की संभावना से भारतीय बाजार को कुछ सहारा मिल सकता है। हालांकि अगले कुछ दिनों के दौरान मंडियों में चना की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास ही रहने की संभावना है।
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