गन्ने की उपलब्धता में कमी के कारण इस साल भारत में चीनी उत्पादन में 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे कई मिलें समय से पहले बंद हो गई हैं। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के अनुसार, अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 के बीच देश का शुद्ध चीनी उत्पादन घटकर 270 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के 319 लाख टन से काफी कम हैं।
प्रारंभिक आकलन में इसे 280 लाख टन बताया गया था, लेकिन ताजा आंकड़ों के अनुसार उत्पादन और भी कम होने की संभावना है। देश की 531 चीनी मिलों में से 15 फरवरी तक केवल 454 सक्रिय थी, जबकि पिछले साल इसी समय 505 मिलें संचालन में थी। इस साल अब तक 77 मिलें अपना पेराई कार्य पूरा कर चुकी हैं, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में केवल 28 मिलों ने अपना सीजन खत्म किया था।
मौजूदा चीनी सत्र के दौरान देशभर में कुल 197.7 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ, जो पिछले साल की इसी अवधि के दौरान हुए 224.8 लाख टन की तुलना में काफी कम हैं। अब तक कुल 2,175 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि तक यह आंकड़ा 2,277 लाख टन था। उत्तर प्रदेश ने 680 लाख टन गन्ने की पेराई कर 63.3 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है।
महाराष्ट्र में इस साल 30 मिलें पहले ही बंद हो चुकी हैं, जहां अब तक 740 लाख टन गन्ने से 68.1 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। कर्नाटक में स्थिति सबसे खराब रही, जहां 79 में से 34 मिलें अपना सीजन पूरा कर चुकी हैं। राज्य में अब तक 437 लाख टन गन्ने की पेराई हुई है और इससे 37.2 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहां कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए चीनी मिलों में नकदी प्रवाह बढ़ाने और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए चीनी और इथेनॉल की कीमतों में वृद्धि की जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने सरकार से आगामी सत्र में चीनी निर्यात की प्रभावी योजना तैयार करने का सुझाव दिया।
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