आजकल बिहार जैसे प्रदेश में भी ऊतक संवर्धन द्वारा तैयार केला के पौधे से केला की खेती हो रही है, जहां पर परम्परागत तरीके से केला की खेती प्रकंद द्वारा होती थी । अभी भी बिहार में केला आदर्श ऊतक संवर्धन प्रयोगशाला बहुत कम है, जबकि अन्य प्रदेशों में जहाँ … [Read more...]
ऊतक संवर्धन विधि द्वारा तैयार केला के पौधे से खेती करने के फायदे
विगत कुछ वर्षो से ऊतक संवर्धन (टिसु कल्चर) विधि द्वारा केले की उन्नत प्रजातियों के पौधे तैयार किये जा रहे हैं। इस विधि द्वारा तैयार पौधों से केलों की खेती करने के अनेकों लाभ हैं। ये पौधे स्वस्थ एवं रोग रहित होते है। पौधे समान रूप से वृद्धि करते … [Read more...]
केला की सघन बागवानी करके अधिक उपज एवं अधिक आय कैसे प्राप्त कर सकते है?
यह केला उत्पादन की एक नयी विधि है। इसमें उत्पादन बढ़ाने हेतु प्रति इकाई क्षेत्रफल केला के पौधों की संख्या बढ़ाने की सलाह दी जाती है। इस विधि में उत्पादन तो बढ़ता ही है, लेकिन खेती की लागत भी घटती है। उर्वरक एवं पानी का समुचित एवं सर्वोत्तम उपयोग हो जाता … [Read more...]
केला रोपण का समय भी निर्धारित करता है की उपज एवं लाभ कितना होगा।
केला की खेती में केला रोपण का समय बहुत महत्वपूर्ण है। बहुत सारे कारकों में से एक, केला रोपण समय निर्धारित करता है की उपज कितना होगा एवं उपज से कितना लाभ मिलेगा। बिहार में यदि केला छठ के समय तैयार होता है तो अधिकतम लाभ मिलता है जबकि इसके विपरित जब … [Read more...]
बिहार का प्रसिद्ध कोठिया केला अपनी विशिष्टता एवं औषधीय गुणों की वजह से हो रहा है लोकप्रिय
कोठिया केला, बिहार का यह प्रसिद्ध केला है, जिसका नाम समस्तीपुर जिले के ताजपुर के पास के एक गाँव कोठिया के नाम पर पड़ा है। इस केला की सबसे बड़ी खासियत यह है की इस केले की प्रजाति से बिना किसी खास देखभाल यानी बिना पानी या कम से कम पानी एवं बिना खाद एवं … [Read more...]