सरकार ने रबी विपणन सत्र 2025 के दौरान मूल्य समर्थन योजना के तहत 32 लाख टन से ज्यादा दालों की खरीद का लक्ष्य रखा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत दलहन की प्रमुख फसल चना की खरीद 21.64 लाख टन से ज्यादा होगी, जबकि मसूर की 9.40 लाख टन से अधिक, वहीं उड़द की 90,108 टन और मूंग की 13,575 टन खरीद का लक्ष्य रखा गया है।
देश के सबसे बड़े चना उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में 25 मार्च से 31 मई के बीच 7.28 लाख टन से ज्यादा चना खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। महाराष्ट्र में 7.08 लाख टन, गुजरात में 2.66 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 1.96 लाख टन चना की खरीद की जाएगी। इसके अलावा कर्नाटक में 96,498 टन, आंध्र प्रदेश में 74,945 टन, तेलंगाना में 37,083 टन, छत्तीसगढ़ में 52,738 टन और हरियाणा में 2,718 टन चना की सरकारी खरीद की योजना है।
कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम फसल उत्पादन अनुमान के अनुसार, 2024-25 रबी सीजन में चना का उत्पादन 115.35 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले साल के 110.39 लाख टन से लगभग 4.49 प्रतिशत ज्यादा है। फिलहाल देश की प्रमुख चना उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना की औसत कीमत 5,650 प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रही है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ दिलाने के लिए सरकार ने खरीद प्रक्रिया तेज कर दी है।
घरेलू चना की बड़ी फसल के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया से शुल्क मुक्त आयात के कारण चना की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। चना का शुल्क मुक्त आयात 31 मार्च 2025 तक जारी रहेगा। इसके अलावा दिसंबर 2023 से अब तक 30 लाख टन से ज्यादा पीले मटर का भारी आयत हुआ है, जिससे चना की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। हाल ही में सरकार ने पीले मटर के लिए शुल्क मुक्त आयात की अवधि को मई के अंत तक तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है, जबकि मसूर पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया गया है।
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