केंद्र सरकार ने घरेलू उत्पादन में कमी के मद्देनजर रखते हुए आपूर्ति बढ़ाने के उद्देश्य से तुअर दाल के शुल्क मुक्त आयात की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च 2026 कर दिया है। पहले यह अवधि 31 मार्च 2025 तक थी। हालांकि इस कदम से किसान असंतुष्ट हैं, क्योंकि उन्हें आशंका है कि इससे फसल कटाई के दौरान मंडियों में कीमतों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
कर्नाटक प्रदेश तुअर उत्पादक संघ के अध्यक्ष बसवराज इंगिन ने सरकार के इस फैसले को आलोचना की है। उन्होंने कहां की घरेलू फसल की कटाई के समय आयात की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इससे मंडी की कीमतें गिरती है और किसानों को नुकसान होता है। सरकार को घरेलू फसल को प्राथमिकता देनी चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले एक महीने में तुअर की कीमतों में लगातार गिरावट देखी गई है। कर्नाटक की मंडियों में तुअर की औसत कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य के स्तर से काफी नीचे 5,600 से 7,850 रुपए प्रति क्विंटल के तक आ गई है, जबकि कुछ महीने पहले ये 10,000 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक थी। दूसरी ओर चेन्नई ओर मुंबई के बाजारों में आयातित तुअर की कीमतें क्रमशः 6,750 और 6,100 से 6,600 रुपए प्रति क्विंटल के बीच है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार इस साल तुअर का उत्पादन 35.02 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल से 2.5 प्रतिशत ज्यादा है। सरकार ने 2024 के खरीफ विपणन सत्र के लिए 9.66 लाख टन से ज्यादा तुअर की खरीद को मंजूरी दी है। इसमें उत्तर प्रदेश से 3.95 लाख टन, कर्नाटक से 3.06 लाख टन ओर आंध्र प्रदेश से 95, 620 टन की खरीद शामिल है।
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