अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कमजोर मांग और मूल्य अस्थिरता के चलते अप्रैल 2025 में भारत से तेल खली का निर्यात पिछले साल की इसी अवधि के स्तर पर स्थिर रहा। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने अप्रैल 2025 में कुल 4,65,863 टन तेल खली का निर्यात किया, जबकि अप्रैल 2024 में यह आंकड़ा 4,65,156 टन था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने बताया कि देश में खरीफ के दौरान सोयाबीन और रबी में सरसों की रिकॉर्ड फसल ने तेल खली की उपलब्धता बढ़ाई है। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वैश्विक बाजारों में आसमान मांग और मूल्य अस्थिरता के कारण निर्यात में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो सकी।
नवंबर से अप्रैल के बीच छह महीनों में सोयाबीन खली का कुल निर्यात घटकर 13.35 लाख टन रह गया, जो पिछले साल की इसी अवधि के 16.58 लाख टन से कम है। इस प्रकार, सरसों खली का निर्यात भी 9.30 लाख टन से घटकर 9.11 लाख टन हो गया है।
भारत के सरसों खली के प्रमुख आयातक देश
अप्रैल 2025 में दक्षिण कोरिया ने भारत से 68,948 टन तेल खली आयात किया, जबकि साल भर पहले यह आंकड़ा 1,09,744 टन था। इसमें 59,071 टन सरसों खली, 6,307 टन अरंडी खली और 3,570 टन सोयाबीन खली शामिल थे।
चीन ने इस साल अप्रैल में भारत से 59,921 टन तेल खली का आयात किया, जबकि पिछले साल यह मात्रा मात्र 3,084 टन थी। इसमें 56,927 टन सरसों खली और 2,994 टन अरंडी खली शामिल रही।
बांग्लादेश ने अप्रैल 2025 में भारत से 50,191 टन तेल खली आयात की, जो पिछले साल के 82,878 टन के मुकाबले काफी कम है। इसमें 33,878 टन सरसों खली और 16,375 टन सोयाबीन खली शामिल हैं। यूरोपीय बाजारों में भी भारत की हिस्सेदारी बनी रही, जहां जर्मनी ने 58,945 टन और फ्रांस ने 16,415 टन सोयाबीन खली का आयात किया।
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